हरियाणा

गुरुग्राम नगर निगम में अधिकारियों का टोटा 15 दिनों से कार्य विहीन बैठे हैं HCS

सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :

वैसे तो गुरुग्राम नगर निगम जब से बना है, क्षेत्रफल को देखते हुए तभी से अधिकारी और कर्मचारियों का टोटा रहा है। लेकिन कुछ लिपिक व सहायक व गैंग मेन बाउंसर को अस्थाई तौर पर डीसी रेट के अनुसार वेतन देकर काम चला रहे हैं। जिसमें भी काफी समय से विवाद चल रहा है। जिनमें कुछ अस्थाई कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर उपायुक्त दफ्तर के सामने करीब दो सालों से धरने पर बैठे हुए हैं, जिनकी कोई सुध नहीं ले रहा है। वहीं अब ऐसे एक मामले की चर्चा कार्यालय में चल रही है कि पिछले करीब 15- 20 दिनों से छुट्टी से वापस लौटे एक एचसीएस अधिकारी को किसी भी कार्य का दायित्व ना देकर खाली बैठा रखा है।

निगम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निगमायुक्त ने पिछले करीब 15 दिनों से छुट्टी से वापस लौटे एचसीएस अधिकारी प्रदीप कुमार को किसी भी कार्य का दायित्व नहीं दिया गया है। जिसकी चर्चा है निगम कार्यालय में जौरो पर चल रही है। निगम कार्यालय में इस तरह की चर्चाएं आम है कि निगम कमिश्नर ने अपने चहेतों को मलाईदार सीटों पर बैठाया हुआ है। जिनके खिलाफ क्षेत्रवासियों ने काफी संगीन आरोप भी लगाए हुए हैं। वहीं कार्यों में लापरवाही और कोताही बरतने के आरोप लगाकर उच्च अधिकारियों को शिकायत भेजी हुई है। हालांकि निगम में इस बात की चर्चा काफी दिनों में से चल रही थी, लेकिन कोई भी अधिकारी व कर्मचारी अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं थे। अब जब डॉक्टर हरि सिंह बांगड़ पर एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच वाला मामला सुर्खियों में आया है तभी से ही दबी जबान से निगम के कर्मचारी और अधिकारी इस पर चर्चा करने लग गए हैं। एक अधिकारी ने तो नाम न छापने की शर्त पर बताया कि निगम कमिश्नर ने अपने पद का दुरुपयोग और पावर को इस्तेमाल करते हुए जीएमडीए में बैठे एक विकास मलिक नामक एक्शन को निगम का अतिरिक्त चार्ज दिया हुआ है। जिस पर भी यह चर्चा है कि निगम में कोई अधिकारी ऐसा नहीं है जो वह चार्ज संभाल सके। हालांकि निगम की अन्य ब्रांच में भी हमेशा कर्मचारी और अत्याधिकारियों का टोटा रहा है चाहे वह सेनेटरी ब्रांच हो, डीए ब्रांच हो,डेवलपमेंट हो, एनफोर्समेंट हो, टैक्स हों। वहीं स्वच्छता भारत मिशन में कार्य कर रहे डॉक्टर नरेश कुमार को जोन 2 का चार्ज दिया हुआ है। जिस पर भ्रष्टाचार के कई आरोप गांव ग्वाल पहाड़ी के लोगों ने लगाए हैं। वहीं जोन 2 के गांव में मोलाहेडा की भी अवैध कब्जे और अवैध निर्माण की शिकायतें कई दफा टेलीफोन व लिखित में  कर चुके हैं, लेकिन मिली भगत और भ्रष्टाचार और ऊपरी पहुंच के कारण ना तो जॉइंट कमिश्नर ही और ना इंफोर्समेंट विंग में बैठे राहुल, लक्ष्मण, प्रदीप, यतीन्द्र, दिनेश, निखिल जैसे कर्मचारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। वहीं कुछ निगम ठेकेदारों ने भी निगम कमिश्नर पर भड़ास निकाली है। ठेकेदारों का कहना था कि गुड़गांव नगर निगम को तो अधिकारी सोमनाथ का मंदिर समझकर आते हैं और लूटपाट करके चले जाते हैं। जिनकी शिकायत करने पर भी ऊंची पहुंच होने के कारण मामला दब जाता है। वहीं इस बात की भी चर्चा रही कि निगम कमिश्नर तो पूर्व मंत्री के गांव के रहने वाले हैं,उन पर तो कोई भी जांच एजेंसी जल्दी से हाथ डालने में कतराती हैं।

जब इस मामलों पर निगमायुक्त के मोबाइल पर सम्पर्क किया गया तो उनका फोन स्विच ऑफ  मिला जिससे उनका पक्ष नहीं लिखा जा सका।

 

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