हरियाणा

हरियाणा भाजपा में दलित महिला नेत्री की कमी थी, जो स्वर्ण वर्ग की नेत्री को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया सम्मान समझे या अपमान … विद्रोही

सत्य ख़बर, रेवाड़ी :

हरियाणा की एकमात्र राज्यसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई। जहां हरियाणा विधानसभा चुनावों में कुमारी सैलजा द्वारा विधानसभा टिकट मांगने पर सिरसा से लोकसभा सांसद होने के चलते कांग्रेस द्वारा टिकट देने से इनकार को बडा चुनावी मुद्दा बनाकर इसे दलित वर्ग का अपमान बताने वाली भाजपा से स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने पूछा कि एक दलित नेता कृष्णलाल पंवार द्वारा खाली की गई राज्यसभा सीट पर भाजपा ने किसी दलित कार्यकर्ता को चुनावी मैदान में उतारने की बजाय उच्च वर्ग की रेखा शर्मा को राज्यसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बनाना दलितों का सम्मान है या अपमान?

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विद्रोही ने कहा कि कुमारी सैलजा सिरसा से इसी साल जून में लोकसभा सांसद निर्वाचित हुई थी, इसलिए कांग्रेस ने उनके द्वारा विधानसभा टिकट मांगने पर भी टिकट न देना रणनीतिक दृष्टि से उचित नही समझा तो भाजपा ने इसे दलित वर्ग का अपमान बताकर हरियाण विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ दुष्प्रचार करके दलित वर्गे को खूब ठगा। अब दलित वर्ग जानना चाहता है कि दलितों के सम्मान के नाम पर विधानसभा चुनाव में मगरमच्छी आंसू बहाने वाली भाजपा ने एक दलित नेता द्वारा खाली की गई राज्ससभा सीट उपचुनाव में किसी दलित नेता को क्यों नही दी?

विद्रोही ने कहा कि यदि भाजपा किसी महिला को ही राज्यसभा में उपचुनाव में उतारना चाहती थी तो क्या भाजपा के पास हरियाणो में कोई दलित महिला नेत्री नही थी? किसी दलित महिला की बजाय स्वर्ण वर्ग की नेत्री रेखा शर्मा को टिकट देना दलितों का सम्मान है या अपमान, इस बात का जवाब भाजपा नेतृत्व व हरियाणा मुख्यमंत्री सहित सभी भाजपा नेताओं को देना होगा?

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राज्यसभा में किसको भाजपा टिकट दे और किसे नही, यह भाजपा का आतंरिक मामला है। तब कुमारी सैलजा को लोकसभा सांसद होते हुए विधानसभा का टिकट देना भी कांग्रेस का आतंरिक मामला था। फिर भाजपा ने इसे दलित अपमान से जोडकर विधानसभा चुनावों में हरियाणा के दलित वर्ग को क्या ठगा? भाजपा का यह पांखडपूर्ण, दोगला रवैया बताता है कि भाजपा की कथनी और करनी में दिन-रात का अंतर तो है, साथ में यह पार्टी अनैतिक व घोर दलित विरोधी भी है। विद्रोही ने हरियाणा के दलित वर्ग से आग्रह किया कि वे भाजपा का असली दलित विरोधी चेहरा पहचाने। भाजपा को जब वोट हडपने होते है तो दलितों के लिए मगरमच्छी आंसू बताती है लेकिन जब दलितों को उनका वाजिब हक देने का मौका आता है तो उनके हकों पर डाका डालकर दलितों की बजाय स्वर्ण वर्ग को भाजपा प्राथमिकता देकर इनाम देती है।

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