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आप के लिए इस बार आसान नहीं है दिल्ली में सत्ता की डगर,जानिए क्यों

सत्य ख़बर, चंडीगढ़ ।

दिल्ली चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही दिल्ली में सियासी पारा चढ़ गया है l एक तरफ जहाँ मौसम सर्द है और तापमान गिर रहा है तो दूसरी तरफ सियासी तापमान लगातार चढ़ता जा रहा है l दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने मंगलवार को तारीखों का ऐलान कर दिया है l दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर एक चरण में 5 फरवरी को मतदान होगा जबकि 8 फरवरी को मतगणना की तारीख़ है l

इस बार दिल्ली के किले को फतेह करने के लिए बीजेपी जहाँ पूरी तरह से बेताब है तो वहीँ केजरीवाल भी चौथी बार दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं l उधर कांग्रेस ने भी पूरे दमखम से साथ इन चुनावों में उतरने का ऐलान करने के साथ ही इस मुक़ाबले को त्रिकोणीय बना दिया है l

देश की राजधानी दिल्ली में पिछले 27 साल से सूखा झेल रही बीजेपी इस बार किसी भी हाल में चुनाव को जीतना चाहती है l दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी ने पूरी तरह से कमर कस ली है और अपने कार्यकर्ताओं को घर-घर पहुंचने का जिम्मा दिया है। यही वजह है कि बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता गरीबों के बीच जाकर अपनी पार्टी का प्रचार कर रहे हैं। इतना ही नहीं झुग्गियों में रहने वाले लोगों के साथ रात्रि विश्राम कर उन्हें बीजेपी की सभी योजनाओं के बारे में विस्तार से बता रहे हैं और मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश की जा रही है।

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आपको बता दें कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार 1993 में बनी थी और उस समय भाजपा ने मदनलाल खुराना को मुख्यमंत्री बनाया था। हालांकि, बीजेपी को 49 सीटों पर बड़ी जीत मिलने के बाद भी पांच साल के कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे। बीजेपी ने मदनलाल खुराना के बाद साहिब सिंह वर्मा और फिर अंत में सुषमा स्वराज को सीएम बनाया था लेकिन फिर इसके बाद से दिल्ली में बीजेपी की सरकार नहीं बनी।

अब एक बार फिर आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की निगाहें दिल्ली में जीत तलाश कर रहीं हैं लेकिन दिल्ली में पिछले 11 साल से राज कर रही आम आदमी पार्टी के लिए इस बार का चुनाव कठिन दिख रहा है। ऐसा इसलिए कहां जा रहा है कि क्योंकि दिल्ली में जिस कांग्रेस के साथ मिलकर आप ने 2013 में पहली बार सरकार बनाई थी, इस बार के चुनाव में वही कांग्रेस AAP की मुश्किल बढ़ाती दिख रही है।

इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जेल जाना भी एक मुख्य कारण है और कहीं ना कहीं उनकी छवि पर प्रभाव पड़ा है। आम आदमी पार्टी पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, यह भी एक बड़ा कारण बना हुआ है। आप में अंदर खाने गुटबाजी भी चल रही है और जिस वजह से कई दिग्गज नेता हाल ही बीजेपी में शामिल हुए हैं। कांग्रेस का गठबंधन न करके अलग चुनाव लड़ना भी आप के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।

बसपा ने भी सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है और ऐसे में अनुसूचित जाति के लोगों के वोट भी अगर बसपा को जाते हैं तो आप की मुश्किल बढ़ सकती है। दरअसल बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने दिल्ली में सभी 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है और मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को दिल्ली के चुनाव के लिए बड़ी जिम्मेदारी दी है। आकाश आनंद दिल्ली में ताबड़तोड़ रैलियां करके अपने समाज के लोगों का मूड बदल सकते हैं और ऐसे में यह भी आप के लिए बड़ी टेंशन बनी हुई है।

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ऐसे में इस बार दिल्ली के चुनाव बेहद पेचीदा होता दिख रहा है और ये 8 फ़रवरी को ही पता चल पायेगा कि जनता जनार्दन दिल्ली की जिम्मेदारी इस बार किसे सौंपती है l

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