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‘टीपू सुलतान एक जटिल व्यक्तित्व हैं’, S Jaishankar ने कहा- अब हम वोट बैंक की राजनीति से बाहर जा रहे हैं

भारत के विदेश मंत्री S Jaishankar ने शनिवार को टीपू सुलतान को भारतीय इतिहास में एक जटिल व्यक्तित्व के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि टीपू सुलतान की प्रतिष्ठा एक ऐसे व्यक्ति के रूप में रही है जिसने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया। हालांकि, उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि उनके शासन के कुछ विवादास्पद पहलू भी हैं, जिन्हें अब तक उचित रूप से नहीं देखा गया। जयशंकर ने यह बयान भारतीय इतिहासकार विक्रम संपथ की पुस्तक ‘टीपू सुलतान: द सागा ऑफ द मायसोर इंटरेग्नम’ के विमोचन समारोह में दिया, जो दिल्ली के इंडियन हैबिटेट सेंटर में आयोजित हुआ था।

टीपू सुलतान की जटिलता और विवाद

एस जयशंकर ने टीपू सुलतान की जटिलता को सामने लाते हुए कहा, “टीपू सुलतान की छवि मुख्य रूप से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष करने वाले योद्धा के रूप में रही है, लेकिन इतिहास के अन्य पहलू भी हैं जिन पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया।” उन्होंने यह भी कहा कि टीपू सुलतान की हार और मृत्यु भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ मानी जा सकती है, जो भविष्य के भारतीय राजनीति और साम्राज्य के विकास पर प्रभाव डालने वाला था।

टीपू सुलतान के शासन के बारे में जयशंकर ने यह भी बताया कि उनके शासन का नकारात्मक प्रभाव मैसूर क्षेत्र में भी देखा गया। “अभी भी कई ऐसे इलाके हैं जहां टीपू के बारे में कोई सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं है,” उन्होंने कहा। यह टिप्पणी टीपू सुलतान के शासन के विवादास्पद पहलुओं की ओर इशारा करती है, जो उनके विरोधियों और अन्य समुदायों के लिए कठिनाई और संघर्ष का कारण बने थे।

'टीपू सुलतान एक जटिल व्यक्तित्व हैं', S Jaishankar ने कहा- अब हम वोट बैंक की राजनीति से बाहर जा रहे हैं

राजनीतिक तथ्य और इतिहास की जटिलता

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारतीय इतिहास को अक्सर केवल राजनीतिक घटनाओं के इर्द-गिर्द घुमाया जाता है, और इसके अन्य पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा, “इतिहास सभी समाजों में जटिल होता है। यह सिर्फ राजनीतिक तथ्यों के इर्द-गिर्द नहीं घूमता, बल्कि इसमें विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभावों का भी योगदान होता है, जिन्हें हमें समझने की आवश्यकता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव हुए हैं, जिससे वैकल्पिक दृष्टिकोणों को प्रोत्साहन मिला है। “हम अब वोट बैंक की राजनीति के कैदी नहीं रहे हैं। अब यह राजनीतिक रूप से गलत नहीं है कि हम असुविधाजनक सत्य को उजागर करें,” जयशंकर ने स्पष्ट किया। उनका यह बयान भारतीय राजनीति में हो रहे बदलावों को रेखांकित करता है, जो अब अधिक खुला और ईमानदार दृष्टिकोण अपनाने की ओर अग्रसर है।

विदेश नीति पर विचार

पुस्तक के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने टीपू सुलतान के विदेशी मामलों में भूमिका पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “मैं एक कूटनीतिक व्यक्ति के रूप में इस पुस्तक में दी गई जानकारी से प्रभावित हूं, जो टीपू सुलतान के विदेश नीति और उनके समय के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर केंद्रित है।” जयशंकर ने यह भी कहा कि भारतीय कूटनीति की अध्ययन की दिशा मुख्य रूप से स्वतंत्रता के बाद पर केंद्रित रही है, जबकि हमें यह याद रखना चाहिए कि भारत के साम्राज्य और रियासतों ने प्राचीन काल में भी अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपनी भागीदारी दिखायी थी।

उन्होंने बताया, “यह तथ्य कि हमारे कई साम्राज्य और रियासतें अपने विशिष्ट हितों को साधने के लिए अंतरराष्ट्रीय मामलों में शामिल होती थीं, यह दिखाता है कि हमारे राजनीतिक इतिहास की जड़ें कितनी गहरी हैं।” जयशंकर ने टीपू सुलतान के मिशनरियों के फ्रांसीसी और अंग्रेजी समकक्षों के साथ संवादों का भी उल्लेख किया, जो इस समय के दिलचस्प पहलू थे।

टीपू सुलतान की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध

टीपू सुलतान के विदेश नीति के दृष्टिकोण को समझना भारतीय कूटनीति के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जयशंकर ने कहा कि टीपू ने अपनी रणनीति में विदेशी शक्तियों के साथ सहयोग को अहमियत दी थी। उन्होंने विशेष रूप से फ्रांस और इंग्लैंड से अपने साम्राज्य की रक्षा के लिए सहायता मांगी थी। टीपू का यह कदम इस बात को दर्शाता है कि वे अपनी माटी की रक्षा के लिए किसी भी विदेशी सहायता का इस्तेमाल करने में संकोच नहीं करते थे।

यहां तक कि टीपू ने मैसूर के खिलाफ ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार को रोकने के लिए फ्रांस के साथ सैन्य गठबंधन किया था। यह ऐतिहासिक कदम भारतीय कूटनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि यह दर्शाता है कि टीपू ने अपने साम्राज्य की सुरक्षा के लिए वैश्विक संदर्भ में सोचने का प्रयास किया था।

टीपू सुलतान का ऐतिहासिक योगदान और विवाद

टीपू सुलतान का ऐतिहासिक योगदान और उनके शासन के विवाद कई दशकों से भारतीय राजनीति और समाज में चर्चा का विषय बने हुए हैं। जहां कुछ लोग उन्हें एक साहसी स्वतंत्रता सेनानी मानते हैं, वहीं कुछ उनके शासन की नीतियों और अत्याचारों पर सवाल उठाते हैं। उनके शासन के दौरान हुई कड़ी नीतियों और संघर्षों ने उनकी छवि को और भी जटिल बना दिया है।

जयशंकर ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम इतिहास को बिना किसी पक्षपाती दृष्टिकोण के देखें और समझें, ताकि हम भारतीय इतिहास की पूरी जटिलता को समझ सकें।

एस जयशंकर के इस बयान ने टीपू सुलतान के बारे में व्यापक बहस को एक नई दिशा दी है। उन्होंने जिस तरह से टीपू सुलतान की भूमिका को परिभाषित किया, वह भारतीय इतिहास की जटिलता को उजागर करता है। उनका यह बयान न केवल टीपू सुलतान के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत अब राजनीतिक और ऐतिहासिक तथ्यों के संदर्भ में खुलकर विचार कर रहा है, बिना किसी वोट बैंक की राजनीति के प्रभाव में आए।

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