today hindu calendar of 21 december 2022
सत्य खबर ,नई दिल्ली ।
दिनांक – 21 दिसम्बर 2022
⛅दिन – बुधवार
⛅विक्रम संवत् – 2079
⛅शक संवत् – 1944
⛅अयन – दक्षिणायन
⛅ऋतु – हेमंत
⛅मास – पौष (गुजरात, महाराष्ट्र में मार्गशीर्ष)
⛅पक्ष – कृष्ण
⛅तिथि – त्रयोदशी रात्रि 10:16 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅नक्षत्र – विशाखा सुबह 08:33 तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅योग – धृति रात्रि 09:26 तक तत्पश्चात शूल
⛅राहु काल – दोपहर 12:38 से 01:58 तक
⛅सूर्योदय – 07:16
⛅सूर्यास्त – 05:59
⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:30 से 06:23 तक today hindu calendar of 21 december 2022
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:11 से 01:05 तक
⛅व्रत पर्व विवरण – प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि
⛅विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹 मासिक शिवरात्रि : 21 दिसम्बर 2022🌹
🌹कर्ज मुक्ति हेतु –
🌹 हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें ! जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें ! इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी ।
🌹1) ॐ शिवाय नमः
🌹2) ॐ सर्वात्मने नमः
🌹3) ॐ त्रिनेत्राय नमः
🌹4) ॐ हराय नमः
🌹5) ॐ इन्द्रमुखाय नमः
🌹6) ॐ श्रीकंठाय नमः
🌹7) ॐ सद्योजाताय नमः
🌹8) ॐ वामदेवाय नमः
🌹9) ॐ अघोरहृदयाय नम:
🌹10) ॐ तत्पुरुषाय नमः
🌹11) ॐ ईशानाय नमः
🌹12) ॐ अनंतधर्माय नमः
🌹13) ॐ ज्ञानभूताय नमः
🌹14) ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः
🌹15) ॐ प्रधानाय नमः
🌹16) ॐ व्योमात्मने नमः
🌹17) ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नम:
🔹तुलसी द्वारा सद्गति🔹
🔹जिसकी मृत्यु के समय श्रीहरि का कीर्तन और स्मरण हो तथा तुलसी की लकड़ी से जिसके शरीर का दाह किया जाय, उसका पुनर्जन्म नहीं होता । जो चोटी में तुलसी स्थापित करके प्राणों का परित्याग करता है, वह पापराशि से मुक्त हो जाता है । जो मृत पुरुष के सम्पूर्ण अंगों में तुलसी का काष्ठ देने के बाद उसका दाह-संस्कार करता है, वह भी पाप से मुक्त हो जाता है । (पद्म पुराण)
🔹मुख में, पेट एवं सिर पर यथायोग्य तुलसी – लकड़ी का उपयोग करें ।
🔹अग्निसंस्कार में तुलसी की लकड़ी का प्रयोग करने से मृतक की सदगति सुनिश्चित है ।
🔹कब्ज से राहत देनेवाली अनमोल कुंजियाँ🔹
🔸प्रात: पेट साफ नहीं होता हो तो गुनगुना पानी पी के खड़े हो जायें और ठुड्डी को गले के बीचवाले खड्डे में दबायें व हाथ ऊपर करके शरीर को खींचे । पंजों के बल कूदें । फिर सीधे लेट जायें, श्वास बाहर छोड़ दें व रोके रखें और गुदाद्वार को ३० – ३२ बार अंदर खींचे, ढीला छोड़े, फिर श्वास लें । इसको स्थलबस्ती बोलते हैं । ऐसा तीन बार करोगे तो लगभग सौ बार गुदा का संकुचन-प्रसरण हो जायेगा । इससे अपने-आप पेट साफ होगा । और कब्ज के कारण होनेवाली असंख्य बीमारियों में से कोई भी बीमारी छुपी होगी तो वह बाहर हो जायेगी ।
🔸सैकड़ों पाचन-संबंधी रोगों को मिटाना हो तो सुबह ५ से ७ बजे के बीच सूर्योदय से पहले-पहले पेट साफ हो जाय… नहीं तो सूर्य की पहली किरणें शरीर पर लगें; सूर्यस्नान करने से भी पेट साफ होने में मदद मिलती है । today hindu calendar of 21 december 2022
🔸कई लोग जैसे कुर्सी पर बैठा जाता है, ऐसे ही कमोड ( पाश्च्यात्य पद्धति का शौचालय ) पर बैठकर पेट साफ करते हैं । उनका पेट साफ नहीं होता, इससे नुक्सान होता है । शौचालय सादा अर्थात जमीन पर पायदानवाला होना चाहिए । शौच के समय आँतों पर दबाव पड़ना चाहिए, तभी पेट अच्छी तरह से साफ होगा । पहले शरीर का वजन बायें पैर पर पड़े फिर दायें पैर पर पड़े । इस प्रकार दोनों पैरों पर दबाव पड़ने से उसका छोटी व बड़ी – दोनों आँतों पर प्रभाव होता है, जिससे पेट साफ होने में मदद मिलती है । तो पैरों पर वजन हो इसी ढंग से शौचालय में बैठे । दायाँ स्वर चलते समय मल-त्याग करने से एवं बायाँ स्वर चलते समय मूत्र-त्याग करने से स्वास्थ्य सुदृढ़ होता है ।
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