सत्य खबर, लखनऊ
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर से सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, ‘जनता नाराज लग रही है सरकार से, पता नहीं क्या करेगी. 5-7 साल हो गए इनको लेकिन किया कुछ नहीं.’ चुनाव में किसके साथ जाएंगे को लेकर सवाल पूछने पर राकेश टिकैत ने कहा कि हम सिर्फ मुद्दों के साथ है, 13 महीने आंदोलन कर किसान आया तो नाराज है. 31 जनवरी को फिर बड़ा आंदोलन है. वादा खिलाफी का कार्यक्रम है कि जो वादा किया दिल्ली में अब तक पूरा नहीं किया.
बीजेपी नेताओं के पश्चिमी यूपी में दौरों पर किसान नेता ने कहा कि उन्हें घर घर जाना भी चाहिये. बल्कि सड़क से जाएं तो बेहतर है. सड़क ठीक हो जाती. अगर पहले 5 साल जाते तो सड़क, स्कूल, अस्पताल ठीक हो जाते. अगर पहले जाते तो घर घर वोट मांगने की जरूरत नहीं पड़ती. घर घर मिलने जा रहे लेकिन हमसे मिलने नहीं आ रहे. हम तो चाहते कि कोई हमसे भी मिलने आये, मुद्दों पर बात करें. जाट बीजेपी के साथ हैं वाले बयान पर राकेश टिकैत ने कहा कि एक बिरादरी को टारगेट कर जैसे बयान दे रहे कि जाट हमारे साथ, थोड़ा आगे बढ़ते तो कहते वो हमारे साथ. ये फंडा अब चलने वाला नहीं, फेल हो चुका. ये पुराना मॉडल लेकर चल रहे जो नहीं चलेगा. वोटर हमारी तरफ है, बाकी पोलिटिकल किस तरफ हमें नही पता.
राकेश टिकैत ने कही ये बात
राकेश टिकैत ने कहा कि कोई नही बताता किसके साथ है. उन्होंने कहा कि आंदोलन कमजोर न हो बस, सरकार कोई आये. आंदोलन कमजोर होने से नुकसान होता. किसान किसे वोट देगा के सवाल पर कहा कि किसान आधे रेट में फसल बेचकर जहां वोट देना चाहते दे लेंगे. धान 1200 में बिका लाइन में खड़े रहे, प्रयागराज में अब भी आंदोलन चल रहा धान ना बिकने पर. बिजली महंगी है, यूपी में 175 रुपये जबकि 15 रुपये हॉर्स पावर हरियाणा में. सरकार के लोगों से गांव में सवाल हो रहा. पार्टी का काम चुनाव लड़ना, हार जीत वोट से होती.
राकेश टिकैत ने कहा कि सबको वोटों पर भी निगाह रखनी होगी. प्रशासनिक अधिकारी गिनती करेगा तो 15 हज़ार वोट सरकार के लिए साथ लेकर जाएगा. 15 हज़ार से गिनती शुरू करेगा सत्ता पक्ष के विधायक की. साथ ही आरोप लगाया कि सरकारी कर्मचारी के फॉर्म भरवा रहे, कुछ कॉलम खाली छोड़ रहे, ऐसी चर्चा है. विभिन्न दलों द्वारा गारंटी कार्ड भरवाने पर कहा कि जनता जागरूक इसलिए गारंटी कार्ड भरवाने लगे राजनीतिक दल. ये नई शुरुआत क्योंकि नेताओं से विश्वास हट रहा. कहते कुछ, करते कुछ हैं. ये जिन्ना,पाकिस्तान, शमशान, कब्रिस्तान नहीं चलेगा.
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