राष्‍ट्रीय

VVPAT: पूर्व चुनाव आयुक्तों ने Supreme Court के निर्णय का स्वागत किया, कहा – 100 प्रतिशत मैचिंग की आवश्यकता नहीं

देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने VVPAT पर्चियों के मिलान और मतपत्र से चुनाव कराने की मांग खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि मौजूदा चुनाव प्रणाली अपने आप में उत्तम है. VVPAT पर्चियों के 100 फीसदी मिलान की जरूरत नहीं है.

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त OP Rawat ने उल्लेख किया कि चुनाव आयोग ने 99.99 प्रतिशत मतदाताओं का विश्वास सुनिश्चित करने के लिए VVPAT और EVM के नमूना मिलान के बारे में कुछ सवाल पूछने के लिए 2017 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) से संपर्क किया था। ISI ने कहा था कि 10 लाख मतदान केंद्रों में से 479 VVPAT मिलान के लिए पर्याप्त हैं. इसके आधार पर आयोग ने तय किया कि हर विधानसभा क्षेत्र के केंद्र पर EVM-VVPAT का मिलान किया जाएगा. इस आधार पर VVPAT की संख्या 479 के मुकाबले 4,300 तक पहुंच गई। जब कुछ राजनीतिक दलों ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, तो आयोग ने प्रति विधानसभा पांच मतदान केंद्रों के VVPAT-EVM का मिलान शुरू किया और इस तरह संख्या बढ़कर 21 हजार हो गई। अब हम 479 की जगह 21 हजार मशीनों का मिलान कर रहे हैं। Rawat ने यह भी कहा कि इस संख्या में कोई भी और बढ़ोतरी मतदाताओं के विश्वास को 99.99 फीसदी से ज्यादा नहीं ले जा सकती।

जीतो तो EVM सही, हार जाओ तो गलत…

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी ने कहा, जब हम जीतते हैं तो EVM ठीक रहती हैं लेकिन जब हम हारते हैं तो दोष EVM पर आता है। उन्होंने कहा, अगर कोई व्यक्ति चावल पकाता है, तो यह जांचने के लिए कि यह ठीक से पका है या नहीं, केवल कुछ दानों को ही मसला जाता है, पूरे बर्तन को नहीं.

पहले भी खारिज हो चुकी है मांग

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, सुप्रीम कोर्ट पहले ही EVM मामले में कई याचिकाएं खारिज कर चुका है. उन्होंने याद दिलाया कि 2019 के आम चुनाव के पहले चरण से पहले, 60 विपक्षी नेताओं ने VVPAT पर्चियों और EVM वोटों के 100% मिलान की मांग करते हुए चुनाव आयोग से संपर्क किया था, लेकिन आयोग ने इसे दृढ़ता से खारिज कर दिया था।

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