सत्य खबर, नई दिल्ली । Weather Updates
दिल्ली सहित उत्तर भारत से ठंड लगभग जा चुकी है और फरवरी की शुरुआत में ही लोगों को गर्मी का एहसास होने लगा है। चंद रोज पहले जहां सर्दी अपने पूरे शबाब पर थी, अब वहां अचानक मौसम ने पलटी मारी है और लोग हाफ बाजू टीशर्ट में नजर आ रहे हैं। इस बीच अमेरिका की मौसम एजेंसी NOAA ने मानसून को लेकर एक बड़ी जानकारी दी है। NOAA ने अनुमान जताया है कि भारत में इस साल गर्मियों के आखिर में अल नीनो की स्थिति बन सकती है, जिसका सीधा असर मानसून की बारिश पर पड़ेगा।
लगातार दूसरे महीने अल नीनो का अलर्ट टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, अमेरिकी मौसम एजेंसी की तरफ से लगातार दूसरे महीने अल नीनो को लेकर ये अनुमान लगाया गया है। इससे पहले जनवरी में भी एजेंसी की तरह से यही जानकारी दी गई थी, हालांकि गुरुवार देर रात जारी ताजा अपडेट में अल नीनो की स्थिति की पुरजोर आशंका जताई गई है। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में अल नीनो की स्थिति जुलाई के आसपास बन सकती और इससे मानसून पर गहरा असर पड़ने की आशंका है। जनवरी की रिपोर्ट में जुलाई के बाद अल नीनो की स्थिति बनने की बात कही गई थी।
अल नीनो के एक्टिव होने के चांस 57 फीसदी हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून को लेकर अभी कोई भी अनुमान लगाना जल्दबाजी होगा। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, मानसून के दौरान कैसी स्थिति रहेगी, ये तस्वीर अप्रैल-मई के आसपास ही स्पष्ट हो पाती है। अमेरिकी मौसम एजेंसी NOAA ने अपने लेटेस्ट अपडेट में कहा है कि भारत में अल नीनो की स्थिति जून-जुलाई-अगस्त के बीच बन सकती है और इसे लगभग जुलाई का समय माना जा सकता है। रिपोर्ट में इस अवधि के दौरान अल नीनो की स्थिति बनने का अनुमान 49 फीसदी और सामान्य स्थिति रहने का अनुमान 47 फीसदी जताया गया है। वहीं, जुलाई-अगस्त-सितंबर में अल नीनो के एक्टिव होने का अनुमान इससे कहीं ज्यादा, 57 फीसदी बताया गया है।
एक्सपर्ट बोले- अभी मानसून पर कुछ भी कहना जल्दबाजी वहीं दूसरी तरफ, विशेषज्ञों की राय अमेरिकी एजेंसी की इस रिपोर्ट से अलग है। विशेषज्ञों का कहना है कि एजेंसी ने अपना ये मॉडल अनुमान जनवरी की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए जाहिर किया है, जबकि बाद के महीनों में काफी कुछ बदल सकता है। कोट्टायम में इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेंट चेंज स्टडीज के निदेशक डी शिवानंद पई ने इस रिपोर्ट पर कहा, ‘अगर लगातार दो महीनों तक किसी मॉडल में अल नीनो के संकेत दिए गए हैं तो इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। लेकिन, मानसून को लेकर एक पुख्ता तस्वीर अप्रैल-मई के महीने में ही उभर सकती है, क्योंकि प्रशांत क्षेत्र में बसंत के मौसम के बाद स्थितियों में बदलाव होता है।’
also read:
घर में कोई नहीं था प्रेमिका ने प्रेमी को बुला लिया, जानिए फिर क्या हुआ
धुंध के कारण बस में घुसी बाइक, युवक की मौत जानिए कहां का है मामला
और भी कई कारण डालते हैं मानसून पर असर- एक्सपर्ट गौरतलब है कि डी शिवानंद पई इससे पहले कई सालों तक भारतीय मौसम विज्ञान विभाग में सीनियर पद पर काम कर चुके हैं। डी शिवानंद पई ने आगे बताया, ‘अल नीनो और भारतीय मानसून में एकदम उलटा रिश्ता है, यानी अगर किसी साल अल नीनो की स्थिति बनती है, तो उस साल मानसूनी बारिश सामान्य से कम होगी। लेकिन, इन दोनों के बीच ये आमने-सामने का रिश्ता नहीं है। हिंद महासागर की स्थितियां, यूरेशियन में छाने वाली बर्फ की चादर और आंतरिक मौसम का अंतर जैसे कई कारण भारत में मानसून की बारिश पर असर डालते हैं।’
क्या है अल नीनो? आपको बता दें कि अल नीनो की स्थिति आमतौर पर हर तीन से छह साल में बनती है। पूर्व और मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में जब महासागर की सतह का पानी असामान्य रूप से गर्म होता है, तो इसे अल नीनो की स्थिति कहा जाता है। अल नीनो की स्थिति में हवा के पैटर्न में बदलाव आता है और इसकी वजह से दुनिया के कई हिस्सों में मौसम पर असर पड़ता है। अगर अमेरिकी मौसम एजेंसी का ये अनुमान सही साबित होता है तो प्रशांत क्षेत्र पांच महीनों के भीतर ही मौजूदा ला नीना की स्थिति को अल नीनो में तेजी से बदलते हुए देखेगा। Weather Updates
Aluminium recycling business models Scrap aluminium material repackaging Scrap metal recovery and reprocessing