सत्य खबर/नई दिल्ली:
राजस्थान में विधानसभा की 199 सीटों पर शनिवार को वोटिंग का काम पूरा होने के बाद चुनाव नतीजे को लेकर अलग-अलग अटकलें लगाई जा रही हैं। 74.96 फीसदी मतदान के आंकड़े सामने आए हैं। यदि 2018 के विधानसभा चुनाव से तुलना की जाए तो पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार 0.9 फीसदी अधिक मतदान हुआ है। यदि राज्य में पिछले 20 साल का ट्रेंड देखा जाए तो वोटिंग प्रतिशत बढ़ने का हमेशा भाजपा को सियासी लाभ मिलता रहा है जबकि वोटिंग में गिरावट का फायदा कांग्रेस को मिलता रहा है।
इस बार सरकार बदलेगी या नहीं?
राजस्थान में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही इस बात को लेकर सियासी बहस होती रही है कि इस बार रिवाज बदलेगा या राज बदलेगा। राजस्थान में पिछले तीन दशकों से हर पांच साल पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सत्ता परिवर्तन का सिलसिला बना हुआ है। शनिवार को मतदान के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों की ओर से जीत मिलने के दावे किए जा रहे हैं मगर सियासी जानकार कड़े मुकाबले को देखते हुए किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके हैं।
इस बार के चुनाव में बढ़ा वोट प्रतिशत
2023 के विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो वोटिंग प्रतिशत में इस बार 0.9 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मतदान प्रतिशत में इस बढ़ोतरी की सियासी हल्कों में खूब चर्चा हो रही है और इसे भाजपा की सत्ता में वापसी का संकेत बताया जा रहा है। वैसे यदि राजस्थान में पिछले 20 वर्षों के ट्रेंड को देखा जाए तो निश्चित रूप से इस तर्क में दम दिखता है और भाजपा को बड़ा सियासी लाभ मिल सकता है। वैसे राजस्थान चुनाव के फाइनल नतीजे की तस्वीर तो 3 दिसंबर को ही साफ हो सकेगी।
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चुनाव नतीजे का इंतजार कर रहे लोग
राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं मगर 199 सीटों पर ही मतदान कराया गया है। श्रीगंगानगर जिले की करणपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के कारण चुनाव टाल दिया गया है। इस बार के विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर बागी प्रत्याशी भी चुनौती देते हुए दिखे हैं और ऐसे में अब राजस्थान ही नहीं बल्कि देश के अन्य लोगों को भी चुनावी नतीजे का बेसब्री से इंतजार है।