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World COPD Day: क्या आपके शरीर में भी यह लक्षण हैं जो बता रहे हैं COPD के खतरे को?

World COPD Day: वायरल संक्रमण और श्वसन समस्याएं आजकल पूरी दुनिया में गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं। इसके चलते हर साल स्वास्थ्य क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव भी बढ़ रहा है। क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) एक ऐसी बीमारी है जो फेफड़ों और वायुमार्ग को प्रभावित करती है। इस बीमारी के कारण वायुमार्ग ब्लॉक हो जाते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके अलावा यह वायुमार्ग के अंदर सूजन और जलन भी बढ़ा देती है। अगर हम ग्लोबल आंकड़ों की बात करें तो पता चलता है कि इस फेफड़ों की बीमारी के कारण हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं।

हर साल लाखों लोग मर जाते हैं

COPD फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है। अगर समय रहते इसका निदान और इलाज न किया जाए तो इसके कारण मृत्यु का खतरा हो सकता है।
यह आमतौर पर एक ऐसी बीमारी मानी जाती है जो उम्र बढ़ने के साथ होती है, हालांकि आंकड़े बताते हैं कि इसकी पहचान अब 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में भी तेजी से होने लगी है। 2020 के आंकड़ों के अनुसार, पूरी दुनिया में COPD के लगभग 480 मिलियन (48 करोड़) मामले थे, जो कि वैश्विक जनसंख्या का करीब 10.6% है। इसके अलावा, यह बीमारी हर साल लाखों लोगों की जान ले लेती है। 2019 में 3.23 मिलियन (32.3 लाख) लोग इसकी वजह से मरे थे।

समय रहते लक्षणों की पहचान करें

डॉक्टरों का कहना है कि COPD के लक्षणों को समय पर पहचानना बेहद महत्वपूर्ण है ताकि इसे सही तरीके से इलाज किया जा सके। COPD के लक्षण आमतौर पर तब तक नहीं दिखते जब तक फेफड़े गंभीर रूप से नुकसान नहीं पहुंचाते। हालांकि, कुछ संकेत होते हैं जिन्हें बिल्कुल नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। ये लक्षण अक्सर गंध, ठंडी हवा, वायु प्रदूषण, सर्दी या संक्रमण से प्रभावित हो सकते हैं।

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COPD के सामान्य लक्षण

  • शारीरिक गतिविधियों के दौरान सांस लेने में कठिनाई।
  • सांस लेते वक्त घरघराहट या सीटी जैसी आवाज आना।
  • लगातार खांसी, जिसमें बहुत ज्यादा बलगम हो। बलगम साफ, पीला या हरा हो सकता है।
  • छाती में भारीपन या तंगपन महसूस होना।
  • बहुत थकान महसूस होना।
  • फेफड़ों के संक्रमण का बार-बार होना।
  • एड़ियों, पैरों या टखनों में सूजन।

कौन लोग अधिक जोखिम में हैं?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसका खतरा काफी बढ़ जाता है। धूम्रपान COPD का सबसे बड़ा जोखिम तत्व है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति जो धूम्रपान करता है, उसे यह बीमारी हो। यदि आप 65 वर्ष से अधिक उम्र के हैं या वायु प्रदूषण, रसायन, धूल या धुएं के संपर्क में रहे हैं, तो आप इसे होने के उच्च जोखिम में हो सकते हैं।

कुछ शोधों के अनुसार, जो लोग बचपन में बार-बार श्वसन संक्रमण से पीड़ित होते हैं, वे भी इसके जोखिम में हो सकते हैं।

COPD से बचाव के उपाय

COPD के अधिकतर मामलों का संबंध सीधे तौर पर सिगरेट पीने से होता है, इसलिए COPD से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है धूम्रपान को छोड़ना। COPD से बचाव रसायनों, प्रदूषण और दूषित वायु से बचने और एक स्वस्थ दिनचर्या बनाए रखने से भी किया जा सकता है। इसके अलावा, कुछ प्रकार की दवाओं और थेरेपी के माध्यम से लक्षणों को बिगड़ने से रोका जा सकता है।

COPD के लक्षणों को समय रहते पहचानने का महत्व

अगर COPD का समय पर निदान किया जाए, तो इसके द्वारा होने वाली जटिलताओं को कम किया जा सकता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को नियमित रूप से जांच करानी चाहिए और डॉक्टर द्वारा बताई गई उपचार विधियों का पालन करना चाहिए।

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COPD एक गंभीर बीमारी है, जो समय पर इलाज न होने पर मौत का कारण बन सकती है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन धूम्रपान, प्रदूषण, और उम्र बढ़ने जैसे कारकों से इसका खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, इसकी पहचान समय पर करना और बचाव के उपायों को अपनाना बेहद महत्वपूर्ण है। यह दिन, विश्व COPD दिवस, हमें इस बीमारी के बारे में जागरूक करने और इसके लक्षणों के प्रति सतर्क रहने की याद दिलाता है।

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