सत्य खबर, नई दिल्ली।You may not know this secret of Kandahar plane hijacking even after 24 years.
इंडियन एयरलाइंस के विमान IC-814 को नेपाल की राजधानी काठमांडू से दिसंबर 1999 में हाइजैक किया गया. इस घटना को कंधार विमान हाइजैकिंग के तौर पर जाना जाता है. हाइजैकिंग के 24 साल बाद इससे जुड़ा एक राज बाहर आया है. इस राज का खुलासा खुद हाइजैक के दौरान विमान के पायलट रहे कैप्टन देवी शरण ने किया है. पायलट ने बताया कि विमान को जब पाकिस्तान ले जाया गया, तो उन्होंने एक हाइवे पर उसे लैंड करने का नाटक किया. उन्होंने बताया कि वह ऐसा कर लाहौर में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATC) को डराना चाहते थे.
कैप्टन देवी शरण का कहना है कि उन्होंने अपने इस गुप्त प्लान का आज तक किसी से जिक्र नहीं किया था. हाइजैकिंग के दौरान क्रू मेंबर्स में कैप्टन शरण, उनके सह-पायलट राजेंद्र कुमार और फ्लाइट इंजीनियर एके जग्गिया शामिल थे. अब तक ये माना जाता था कि तीनों पाकिस्तानी अधिकारियों के फैसले के खिलाफ गए और फिर उन्होंने लाहौर एयरपोर्ट पर विमान की लैंडिंग का फैसला किया था. ऐसा करने के दौरान उनसे उस वक्त हाइवे को रनवे समझने की भूल भी हुई थी, क्योंकि रनवे की बत्ती गुल थी.
जब हाइवे पर लैंड होने वाला था विमान
दरअसल, क्रू मेंबर्स के इस फैसले की वजह से विमान हाइवे पर लैंड होने से बाल-बाल बचा था. क्रू मेंबर्स को तुरंत मालूम चला कि जहां वो लैंड करने जा रहे हैं, वह रनवे नहीं बल्कि हाइवे है. इसके बाद तुरंत विमान को ऊपर की ओर उड़ाया गया. फ्लाइट इंजीनियर एके जग्गिया ने 2003-04 में विमान के हाईजैक होने की कहानी सुनाई थी और बताया था कि किस तरह वह लोग हाइवे पर लैंड करने वाले थे.
जग्गिया ने बताया था कि लाहौर एटीसी की तरफ से विमान को लैंड करने की इजाजत नहीं दी गई. रनवे और एयरपोर्ट की लाइटें भी बंद कर दी गई थीं. एटीसी की तरफ से मिली निराशा के बाद अंधेरे में ही रनवे की तलाश शुरू हो गई, क्योंकि दूसरा कोई विकल्प नहीं था. रनवे ढूंढना इसलिए भी जरूरी थी, क्योंकि विमान का ईंधन खत्म होने जा रहा था. ऐसे में रनवे की तलाश तेज कर दी गई.
उन्होंने आगे बताया था कि रनवे मिल नहीं रहा था और फिर एक लंबा रास्ता दिखने लगा. आसमान से देखने की वजह से ये लंबा रास्ता किसी रनवे की तरह मालूम हुआ. उन्होंने बताया था कि फिर विमान को उस तरफ मोड़ा गया, लेकिन जब वे लैंड होने की तैयारी करने लगे, तो अचानक उन्हें मालूम चला कि ये तो कोई रनवे नहीं है. लेकिन वक्त रहते पायलट ने विमान को उड़ा लिया.
कैसे लाहौर में लैंड हुआ विमान?
वहीं, 31 जुलाई से पांच अगस्त तक विमानन सुरक्षा संस्कृति सप्ताह के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में शामिल हुए कैप्टन शरण ने हाइवे पर लैंड होने के वाकये को बताया. उन्होंने बताया कि कॉकपिट में मेरे पीछे दो आतंकी खड़े थे. मुझे मालूम था कि अगर मैंने सह-पायलट या क्रू मेंबर्स को कुछ भी कहा, तो आतंकी सब जान लेते. इसलिए मैंने कुछ चीजें खुद तक रखने का फैसला किया.
वह आगे बताते हैं, ‘जब लाहौर एटीसी ने लैंडिंग की इजाजत नहीं दी, तो मैंने इमरजेंसी लैंडिंग का नाटक करने का प्लान बनाया. मुझे मालूम था कि ऐसा करने पर रनवे की लाइट जलाई जाएगी और हम वहां लैंडिंग का दबाव बना पाएंगे.’ दरअसल, विमान ने ट्रांसपॉन्डर नामक डिवाइस होता है, जो एटीसी को उसकी लोकेशन बताता है.
कैप्टन शरण ने बताया कि इस डिवाइस की वजह से लाहौर एटीसी को लगा कि विमान इमरजेंसी लैंडिंग करने वाला है. वह बताते हैं कि मेरा प्लान सफल रहा और मुझे एटीसी से रनवे ओपन होने की जानकारी मिली. इसके बाद हमने वहां विमान की इमरजेंसी लैंडिंग की. उनका दावा है कि इस प्लान के बारे में उनके सह-पायलट और क्रू मेंबर्स को भी मालूम नहीं था.