सत्य खबर, बहादुरगढ़
कृषि कानूनों को रद्द कराए जाने को लेकर चार माह से बॉर्डर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों ने एक बार फिर से शासन व प्रशासन के खिलाफ हुंकार भरी है। उनकी यह हुंकार इस बार कृषि कानूनों को लेकर नहीं बल्कि केएमपी पर हाल हीं में प्रशासन द्वारा चालू कराए गए टोल को लेकर है। किसान जहां कृषि कानूनों के रद्द न होने तक केएमपी के साथ-साथ अन्य सभी टोल को फ्री कराने की जिद्द पर अड़े है,वहीं प्रशासन चाहता है कि टोल पहले की भांति उसकी तरह से लागू रहे जैसा कि किसान आंदोलन शुरू होने से पहले तक थे।
हांलाकि किसानों की जिद्द व मामले की गंभीरता को भांपकर शासन व प्रशासन ने उन दिनों इस मामले पर चुप्पी साधे रखी थी जब किसान केएमपी व अन्य स्थानों पर जाकर टोल फ्री करा रहे थे। लेकिन कुछ रोज पूर्व प्रशासन ने इस बारे में सख्ती बरतते हुए दोबारा से केएमपी पर टोल शुरू करा दिया। जब किसानों को इस बात का पता चला तो काफी संख्या में किसान केएमपी पर पहुंंच गए। लेकिन वहां पहले से ही काफी संख्या में पुलिस बल मौजूद था। जिसे देखकर किसानों ने टोल स्थल के थोड़ी ही दूरी पर एक बैठक का आयोजन किया।
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बैठक केएमपी का टोल फ्री कराए जाने को लेकर थी। काफी देर तक चली मंत्रणा के बाद किसानों ने इस बारे में प्रशासन को अल्टीमेटम दिया कि यदि अगले चार रोज के भीतर टोल दोबारा से फ्री नहीं हुआ तो किसान 22 अप्रैल को दोबारा से वहीं टोल स्थल पर पहुंच कर टोल फ्री करा देंगे। किसान नेताओं ने एक बार फिर कहा कि यदि सरकार ने जिद्द पकड़ रखी है कृषि कानूनों को रद्द न करने की तो किसानों की भी जिद्द यहीं है कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं होंगे तब तक किसानों की घर वापसी भी नहीं होगी। किसान नेताओं ने अपना आंदोलनओर ज्यादा तेज किए जाने की बात कही|
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