सत्य खबर, नई दिल्ली। रोहिणी कोर्ट ने हिरासत में हिंसा और डॉग फाइट से जुड़ी घटना के मामले में रोहिणी जिले के डीसीपी को निर्देश दिया है कि वो बेगमपुर थाने के एसएचओ समेत उन सभी नौ पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करें, जो इस घटना में शामिल थे. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बबरु भान ने आदेश की अनुपालना रिपोर्ट तीन जनवरी को दाखिल करने का निर्देश दिया है.
मामला आठ दिसंबर का है. शिकायतकर्ता गुरप्रीत कौर गिल और आरोपी प्रिंस गिल ने शिकायत की कि आरोपी की बर्बर तरीके से पिटाई की गई थी. आरोपी की पत्नी ने भी यही शिकायत की थी. इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब कोर्ट के सामने पेशी के लिए लाया गया. आरोपी लड़खड़ाता हुआ दिखा, तब कोर्ट ने पुलिस ऑफिसरों से रिपोर्ट तलब की. पुलिस ऑफिसरों ने पुलिसकर्मियों पर लगाए गए आरोपों को गलत बताया.
कोर्ट ने पाया कि आरोपी की पत्नी की ओर से पेश वीडियो में पुलिस की थ्योरी झूठी नजर आ रही है कि आवारा कुत्ते ने आरोपी के घर में घुसकर काटा. कोर्ट ने कहा कि वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि एक आक्रोशित कुत्ते को पुलिस वर्दी में आए कुछ लोगों की ओर से उकसाया जा रहा है. महिलाएं दया की भीख मांगती दिख रही हैं. ऐसे में पुलिस की सफाई साक्ष्यों से मेल नहीं खाते हैं. पुलिस ने कहा कि यह सही है कि पुलिस को कठिन परिस्थितियों में अपना काम करना पड़ता है. इसके बावजूद पुलिस आरोपी को पकड़ने के लिए हिंसा का सहारा नहीं ले सकती हैं. ऐसा करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
कोर्ट ने डीसीपी को निर्देश दिया कि वो बेगमपुर थाने के एसएचओ अरविंद कुमार, एसआई निमेश, एएसआई नीरज राणा, कांस्टेबल सनी, अरुण, विनीत और उन अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करें. तीन अन्य पुलिसकर्मी अज्ञात हैं.
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