सत्यखबर, रेवाडी (संजय कौशिक )
भले ही प्रदेश की मनोहर सरकार प्रदेश में दो करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देने का दम भरती हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है, जिसका जीता जागता उदाहरण उस वक्त सामने आया, जब रेवाड़ी जिले के औधोगिक क़स्बा बावल में मूल रूप से उत्तरप्रदेश की रहने वाली एक पढ़ी-लिखि 27 वर्षीय महिला ने बेरोजगारी और गरीबी के कारन फंदा लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।मृतका मधु का पति मजदूरी का काम करता है, जिसकी कम पगार से घर का गुजर बसर नहीं हो रहा था। इसी परेशानी में मृतका ने यह कदम उठाया ।
सत्यखबर, रेवाडी (संजय कौशिक )
भले ही प्रदेश की मनोहर सरकार प्रदेश में दो करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देने का दम भरती हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है, जिसका जीता जागता उदाहरण उस वक्त सामने आया, जब रेवाड़ी जिले के औधोगिक क़स्बा बावल में मूल रूप से उत्तरप्रदेश की रहने वाली एक पढ़ी-लिखि 27 वर्षीय महिला ने बेरोजगारी और गरीबी के कारन फंदा लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।मृतका मधु का पति मजदूरी का काम करता है, जिसकी कम पगार से घर का गुजर बसर नहीं हो रहा था। इसी परेशानी में मृतका ने यह कदम उठाया ।
सत्यखबर, रेवाडी (संजय कौशिक )
भले ही प्रदेश की मनोहर सरकार प्रदेश में दो करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देने का दम भरती हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है, जिसका जीता जागता उदाहरण उस वक्त सामने आया, जब रेवाड़ी जिले के औधोगिक क़स्बा बावल में मूल रूप से उत्तरप्रदेश की रहने वाली एक पढ़ी-लिखि 27 वर्षीय महिला ने बेरोजगारी और गरीबी के कारन फंदा लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।मृतका मधु का पति मजदूरी का काम करता है, जिसकी कम पगार से घर का गुजर बसर नहीं हो रहा था। इसी परेशानी में मृतका ने यह कदम उठाया ।
सत्यखबर, रेवाडी (संजय कौशिक )
भले ही प्रदेश की मनोहर सरकार प्रदेश में दो करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देने का दम भरती हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है, जिसका जीता जागता उदाहरण उस वक्त सामने आया, जब रेवाड़ी जिले के औधोगिक क़स्बा बावल में मूल रूप से उत्तरप्रदेश की रहने वाली एक पढ़ी-लिखि 27 वर्षीय महिला ने बेरोजगारी और गरीबी के कारन फंदा लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।मृतका मधु का पति मजदूरी का काम करता है, जिसकी कम पगार से घर का गुजर बसर नहीं हो रहा था। इसी परेशानी में मृतका ने यह कदम उठाया ।