सत्यख़बर डेस्क
कोरोना महामारी ने गुजरात में आक्रोश पैदा कर दिया है। मरीजों की संख्या इतनी बढ़ गई है की अस्पतालों मे बिस्तर की भी कमी पैदा हो गई है, स्टाफ का तो अकाल पड़ा हुआ है । बेकारों की संख्या मे बढ़ोतरी हो रही है। लोगों के बने बनाएं धंधे भी थप पद गए है। कब्रिस्तान में भी लंबी लंबी लाइनें लगी पड़ी है । अपने स्वजनों के दाह संस्कार के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। यहाँ तक की कुछ इलाकों मे एम्बुलेंस और शव वाहिनी की भी कमी लगी पड़ी है।
आग की चपेट में आने से गेंहू की फसलें जली
इन कठिन हालातों मे सूरत के ओलपाड मे एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। सूरत के ओलपाड में रहने वाले भद्रबेन शाह को शनिवार के दिन अचानक सांस लेने में परेशानी हो लगी । जिसके कारण उनका बेटा वेंटिलेटर की तलाश में पूरे ओलपाड क्षेत्र के चप्पे चप्पे मे घुमा , लेकिन उसे कहीं भी वेंटिलेटर नहीं मिला, और अंत मे भद्रबेन ने शाम 7 बजे अपना दम तोड़ दिया। बेटे ने फिर अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी ले और माँ के शव को श्मशान ले जाने के लिए ग्राम पंचायत से शबवाहिनी की मांग की।
परंतु शायद उनके नसीब मे शबवाहिनी नहीं लिखी थी। नतीजतन, बेटा शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक अपनी मां के अंतिम संस्कार को तरसा रहा। बेचारा बेटा नियति के आगे हार गया। अपनी माता को समय पर अग्निदाह भी न दे पाया । अंत में बेटे ने कोई रास्ता न देखकर अपनी मां के शव को एक लेरी में रख दिया और उसे कब्रिस्तान में ले गए। पिछले 24 घंटों में, गुजरात में कोरोना के 5000 से अधिक मामले सामने आए हैं। परिणामस्वरूप, सक्रिय मामलों की संख्या 25000 को पार कर गई है। जबकि इलाज के दौरान 49 लोगों की मौत हो गई है। कुल मौत का आंकड़ा बढ़कर 4746 हो गया है। जबकि लगभग 2500 लोग कोरोना संक्रमण से मुक्त हो गए हैं। राज्य में अब तक 3.12 लाख रोगियों को दोषी ठहराया गया है।
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