सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) – महिला एंव बाल विकास के अधीन आंगनवाड़ी सेंटरों का सोमवार 22 अप्रैल को चण्डीगढ़ मुख्यालय से ऑडिट विभाग द्वारा निरीक्षण किया जाना है, ताकि यह पता लग सके कि सेंटरों में राशन की पूर्ति कितनी होती है और कितना राशन ज्यादा आता है। लेकिन आंगनवाड़ी वर्करों को महिला एवं बाल विकास के कर्मचारियों द्वारा यह कहा कि अगर उनका सेंटर चैक न हो, तो इसके लिए हर वर्कर को 400 रूपये देने होंगे। जिसके बाद उनका सेंटर चैक नहीं होगा। इसके लिए शनिवार को ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत आंगनवाड़ी वर्कर को लघु सचिवालय स्थित महिला एवं बाल विकास कार्यालय में रजिस्टर लेकर बुला लिया। ग्रामीण क्षेत्र के अधीन आने वाले 9 सर्कल की सुपरवाइजरों ने लगभग 250 वर्करों को रजिस्टर में स्टॉक मिलाने को कह दिया। यही नहीं सुपरवाइजरों ने हर वर्कर से 400 रूपये इकट्ठे करने शुरू कर दिये और कह दिया कि 400 रूपये की बात लेने की बात किसी को बताई तो उनको निलंबित कर दिया।
इसके बाद हर आंगनवाड़ी वर्कर ने 400 रूपये दे दियें। सुपरवाइजरों ने कहा कि जिन वर्करों ने रूपये दे दिये हैं, उनके सैंटर चैक नहीं होंगे। यही नहीं वर्ष 2016 से आंगनवाड़ी सैंटरों में नमक की थैली नहीं आई थी, इसके बावजूद रजिस्टर में जनवरी, 2019 की पिछली तिथि में हर सैंटर में 22 थैली नमक की फर्जी तरीके से चढ़वा दी। जबकि 5 अप्रैल 2019 में नमक की थैलियां आई हैं। आंगनवाड़ी वर्करों ने नाम न छापने की शर्त में बताया कि उनको ऑडिट के नाम पर डराया गया है, वो तो सुपरवाइजरों को यह कह रहे थे कि उनके सेंटर का ऑडिट करवा लो, रजिस्टर लेकर आ जायेंगे। वे काम कर रहे हैं, तो पैसे किस बात के ले रहे हो? उन्होंने कहा कि ऑडिट का डर तो उन्हें होना चाहिए, जिनका सेंटर में राशन पूरा नहीं मिलता।
9 साल में आंगनवाड़ी सेंटरों का हो रहा है ऑडिट
महिला एवं बाल विकास विभाग का वर्ष 2009 के बाद ऑडिट हो रहा है। इसके लिए 2009 से 2018 तक आंगनवाड़ी सेंटरों का ऑडिट होगा। देखा जाये, तो लगभग 9 साल का ऑडिट होने में कई अधिकारी व कर्मचारी भ्रष्ट्राचार में फंसते नजर आयेंगे। यह तो चण्डीगढ़ मुख्यालय से आने वाले ऑडिट अधिकारी किस तरह अपनी चेकिंग करते हैं, यह तो सोमवार को पता चल पायेगा।
हर आंगनवाड़ी वर्करों से ऑडिट के नाम पर 400 रूपये वसूले गये हैं, इसकी जानकारी उनको नहीं हैं। वे कार्यालय में नहीं आई हैं। हर आंगनवाड़ी सेेंटर का ऑडिट किया जायेगा। अगर पैसे वसूले गये हैं, तो उनको वापिस करवाया जायेगा। जो कर्मचारी इसमें दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ आवश्यक कारवाई को लिखा जायेगा।
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