सत्यखबर, जींद: कोरोना वायरस के चलते औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान जींद क ी महिला अनुदेशक व विद्यार्थी लोगों को नो लॉस-नो प्रोफिट के आधार पर डबल लेयर के मास्क उपलब्ध करवा रहे है। इन मास्क में बढिय़ा गुणवत्ता के सुती कपड़े का प्रयोग किया जा रहा है। खास बात यह है कि विद्यार्थियों द्वारा यह मास्क आई टी आई परिसर में सामाजिक दूरी की पालना कर बडी स्ंाख्या में बनाए जा रहे है। यह मास्क इतने किफायती है कि कोई भी गरीब से गरीब व्यक्ति खरीद सकता है। आजकल आईटीआई में बन रहे मास्क को लोग अच्छा खासा पसंद कर रहे है। जिसकी बदौलत इन मास्कों की मार्केट में मांग भी काफी बढ गई है। मास्क बनाने में आईटीआई विद्यार्थियों के साथ-साथ की महिला अनुदेशक बिमला दूहन ,सीमा,शशीबाला, संजीत व मंजीत भी जुटी हुई है। अब तक इनके द्वारा साढे चार हजार मास्क तैयार कर लोगों को उपलब्ध करवाए जा चुके है। किमत पर नजर डाली जाए तो 8 रुपये से 16 रुपये प्रति मास्क लोगों को उपलब्ध करवाया जा रहा है। महिला अनुदेशकों ने बताया कि बाजार से सुती कपडा खरीदकर इसके मास्क तैयार किये जाते है।
पानीपत थर्मल प्लांट भी करेगा मास्कों की खरीद : महिला अनुदेशकों ने बताया कि आईटीआई में तैयार किये जा रहे मास्कों की डिमांड कई जगहों से आई है, जिनमें से पानीपत थर्मल प्लांट भी एक है। उन्होंने बताया कि पानीपत थर्मल प्लांट द्वारा लगभग एक हजार मास्क पहले भी खरीदे जा चुके है। जिला के ईंट भटठों, ग्राम पंचायतों, कैमिस्टों तथा अस्पतालों समेत कई अन्य संस्थानों से मास्क खरीदने की डिमांड आ रही है। डिमांड के हिसाब से मास्क के उत्पादन को भी बढाने के लिए आईटीआई द्वारा विचार किया जा रहा है।
गरीबों व बे सहारा लोगों को निशुल्क करवाए जा रहे है,मास्क उपलब्ध: आईटीआई में तैयार मास्क गरीब व बे सहारा लोगों को फ्री में भी उपलब्ध करवाए जा रहे है। अब तक कई लोगों को इस तरह के मास्क उपलब्ध करवाए जा चुके है। इनके अलावा पुलिस नाकों व अस्पतालों में डियूटी दे रहे कोरोना योद्धाओं को भी निशुल्क मास्क उपलब्ध करवाए जा रहे है। इन मास्क का सबसे बडा खरीददार वीटा मिल्क प्लांट जींद है । प्लांट द्वारा अपने कर्मियों के लिए सैंकडों की संख्या में मास्क खरीदे हे। आईटीआई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी निशुल्क मास्क दिये गए है।
जन सेवा करने से मिलती है आत्मिक संतुष्टि: अनुदेशक बिमला,शशीबाला,सीमा,मंजीत, संजीत ने बताया कि डियूटी के साथ-साथ मास्क बनाकर लोगों तक पंहुचाने में आत्मिक संतुष्टि मिलती है। उनका कहना है कि मास्क बनाने से जन सेवा का आभास होता है। कई महिला अनुदेशकों ने तो यह भी कहा कि समाज को जब तक जरूरत रहेगी ,तब तक मास्क तैयार कर लोगों तक पंहुचाने का कार्य जारी रहेगा।
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