सत्यखबर
स्वतंत्रता दिवस से ठीक तीन दिन पहले, भारत आखिरकार अपने सबसे उन्नत उपग्रह (जीसैट -1) लॉन्च करेगा। देश की सुरक्षा के लिहाज से भी यह सैटेलाइट काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके जरिए देश की सीमाओं की वास्तविक तस्वीरें लेने में मदद मिलेगी। पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा पर भारत पहले से बेहतर निगरानी कर सकेगा। सैटेलाइट को 12 अगस्त को सुबह 5.43 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा।
आकाश में आंख बनकर निगरानी
एक बार पृथ्वी से 36, 000 किमी ऊपर कक्षा में स्थापित होने के बाद यह उपग्रह ‘आकाश में आंख’ बनकर निगरानी करेगा। इस उपग्रह के जरिए बड़े एरिया की निगरानी एक समय में की जा सकेगी। इसकी नजरों से दुश्मन भी नहीं बच पाएगा। अंतरिक्षण विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि भू अवलोकन उपग्रह का यह प्रक्षेपण कुछ मायने में भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।अत्यधिक क्षमता के कैमरे लगे होने से उपग्रह भारतीय भूमि और सागर की निगरानी करेगा, खासतौर पर निरंतर सीमाओं की।
यह इस साल भारत का प्राथमिक उपग्रह का पहला प्रक्षेपण होगा। इसरो ने 28 फरवरी को ब्राजील के प्राथमिक उपग्रह अमेजोनिया-1 के साथ कुछ देसी उपग्रहों सहित 18 छोटे उपग्रहों को प्रक्षेपित किया था। कोरोना महामारी की वजह से इस सैटेलाइट के प्रक्षेपण में देरी हुई। इसरो का GSLV-F10 रॉकेट आखिरकार 2,268 किलोग्राम वजनी Gisat-1, कोडनेम EOS-3 को जियो-ऑर्बिट में डालने के लिए तैयार है। सीमा की सुरक्षा के साथ ही साथ प्राकृतिक आपदाओं सहित मौसम की रियल टाइम जानकारी भी मिलेगी।
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जीसैट-1 का प्रक्षेपण मूल रूप से आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले से पांच मार्च को होने वाला था, लेकिन तकनीकी कारणों के चलते प्रक्षेपण से ठीक एक दिन पहले इसे निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद 2,268 किग्रा वजन के इस उपग्रह के प्रक्षेपण में कोविड-19 से जुड़े लॉकडाउन लागू होने पर विलंब हो गया। इसके प्रक्षेपण का कार्यक्रम बाद में अप्रैल और फिर मई के लिए बनाया गया था लेकिन देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं किया जा सका।
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