सत्यखबर
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है और अब नौबत दोनों देशों के बीच युद्ध तक पहुंचने लगी है। इजरायल और फिलिस्तीन, दोनों एक दूसरे को निशाने पर ले रहे हैं और सैकड़ों लोग अभी तक घायल हो चुके हैं तो दर्जनों लोगों के मारे जाने की भी खबर है। दुनियाभर के देशों ने इजरायल और फिलिस्तीन से तनाव कम करने की अपील की है, लेकिन हालात और तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। वहीं, अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने इजरायल और फिलिस्तीन से शांति बहाली की अपील की है लेकिन सोमवार रात भी फिलिस्तीनी चरमपंथियों ने येरुशलम पर कई रॉकेट दागे हैं, जिसका जवाब देते हुए इजरायली सेना ने गाजा पट्टी में कई चरमपंथी ठिकाने पर हवाई हमले किए हैं, जिसके बाद तनाव युद्ध के हालात तक पहुंच चुके हैं। इस संघर्ष की शुरूआत उस वक्त हुई थी जब इजरायल के यहूदी नेशनलिस्ट ने एक मार्च निकालने का फैसला लिया था।
ये मार्च उस जीत का जश्न था तो इजरायल को 1967 में मिली थी। दरअसल, 1967 में इजरायल ने येरूशलम के कई हिस्सों पर अपना कब्जा जमा लिया था और फिर वो हिस्से अभी तक इजरायल के ही कब्जे में है। इसी जीत को लेकर इजरायाल के कुछ राष्ट्रवादी मार्च का आयोजन कर रहे थे मगर इसी मार्च के दौरान फिलिस्तीनी चरमपंथियों ने हमला कर दिया, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी। रिपोर्ट के मुताबिक फिलिस्तीनी चरमपंथियों को जवाब देने के लिए इजरायली सुरक्षाबलों ने रबर बुलेट का इस्तेमाल किया था, जिसमें कई चरमपंथी घायल हुए थे और फिर स्थिति लगातार खराब होती चली गई। फिलिस्तीनी अधिकारियों के मुताबिक इजरायल के हमले में कम से कम 20 लोग मारे गये हैं। वहीं, इजरायल ने कहा है कि उसके हमले में चरमपंथी संगठन हमास के कम से कम तीन बड़े लीडर मारे गये हैं, जो गाजा पट्टी का प्रतिनिधित्व करते थे। दरअसल, येरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद के पास इजरायली सुरक्षाबलों के साथ फिलिस्तीन के प्रदर्शनकारियों की काफी देर तक झड़प हुई थी, जिसमें फिलिस्तीन की तरफ से दावा किया गया है कि इस झड़प में सैकड़ों लोग घायल हुए हैं और इस झड़प के बाद चरमपंथी संगठन हमास ने इजरायल पर हमला करने की धमकी दी थी और फिर हमास ने इजरायल पर कई रॉकेट्स दागे हैं।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के हमले के बाद कहा कि हमास ने इजरायल पर रॉकेट दागकर अपना हद पार कर लिया है और इजरायल का इसका पूरी ताकत के साथ जवाब देगा और फिर इजरायली सेना ने चरमपंथी संगठन हमास को निशाना बनाया है। दरअसल, येरूसलम में मुस्लिमों की तीसरी सबसे पवित्र अल अक्सा मस्जिद है वहीं, मस्जिद के बगल में यहूदियों का पवित्र मंदिर भी है और इसी वजह से विवाद होता रहता है। यहूदियों के लिए ये मंदिर काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है और मंदिर की सुरक्षा के लिए हमेशा इजरायली सेना वहां मौजूद रहती है। मंदिर और मस्जिद को लेकर इस क्षेत्र में कई सालों से विवाद और संघर्ष होता रहता है। फिलिस्तीन की रेड क्रेसेंट ने कहा है कि इजरायली सेना से संघर्ष में करीब 700 फिलिस्तीनी घायल हुए हैं। बीबीसी के मध्यपूर्व मामलों के संपादक जरेमी बॉवेन के मुताबिक ‘इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चलने वाला ये संघर्ष कोई नया नहीं है और इस अनसुलझे विवाद को लेकर लंबे वक्त से दोनों तरफ के लोग टकराते रहते हैं। अभी के संघर्ष की पीछे की वजह ना सिर्फ धार्मिक मान्यता है बल्कि दोनों देशों के लिए ये एक महत्वपूर्ण जगह भी है।
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इजरायल और फिलिस्तीन के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच अमेरिका समेत कई देशों से शांति की अपील की है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि हमास को फौरन इजरायल पर हमले बंद करना चाहिए और दोनों पक्षों को फौरन शांति बहाली के लिए कोशिशें तेज करनी चाहिए। वहीं, व्हाइट हाउस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन येरूशलम की स्थिति से काफी चिंतित हैं। वहीं, इंग्लैंड के विदेश सचिव डॉमिनिक राब ने भी ट्वीट कर कहा कि रॉकेट हमले फौरन बंद होने चाहिए और नागरिकों के खिलाफ हिंसा तुरंत रूकनी चाहिए। वहीं, यूरोपीय संघ ने भी दोनों पक्षों से शांति की अपील की है। तो यूनाइटेड नेशंस ने भी येरूशलम हिंसा को लेकर बैठक ही है हालांकि, अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया गया है लेकिन इजरायल से संयम बरतने की अपील की गई है। फिलिस्तीन से संघर्ष के बीच इस्लामिक देशों ने इजरायल को आड़े हाथों लिया है। सबसे पहली प्रतिक्रिया पाकिस्तान की तरफ से आई, जब प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट कर इस विवाद के लिए इजरायल को दोषी ठहराया और इजरायली सुरक्षा बलों की कार्रवाई की निंदा की है। इमरान खान ने कहा कि इजरायल की फोर्स ने मानवता और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है। वहीं, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने भी इजरायल की आलोचना करते हुए संघर्ष विराम को फौरन रोकने की अपील की है। सऊदी अरब ने इजरायली हमले की निंदा करते हुए कहा कि ‘यरूशलम में दर्जनों फिलिस्तिनियों को हटाकर उनपर इजरायली संप्रभुता थोपने की सऊदी अरब निंदा करता है।’ वहीं, संयुक्त अरब अमीरात ने भी इजरायल की निंदा की है। संयुक्त अरब अमीरात ने इजरायल से तनाव कम करने की अपील की है। वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने इजरायल का सिर्फ रस्मी विरोध किया है क्योंकि दोनों देश लगातार अपने संबंध को इजरायल के साथ मजबूत कर रहे हैं। यूएई ने इजरायल में अपना दूतावास भी बनाया है और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध भी स्थापित हो चुके हैं। और इसी का परिणाम है कि इजरायल लगातार फिलिस्तीन को दबाने की कोशिश कर रहा है।
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