सत्य खबर, हिसार, ब्यूरो रिपोर्ट
हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय फसलों की बिक्री के लिए मार्केटिंग में सूत्रधार की भूमिका निभाए और इसकी नई संभावनाएं तलाश करे ताकि किसानों के लिए उन्नति की नई राहें खुल सकें। उन्होंने कहा कि बेहतर तकनीक, मार्केटिंग व शोध की मदद से प्रदेश के किसानों व खेती की दशा को बदला जा सकता है और इसके लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय जैसे संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह बात आज हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के इंदिरा गांधी सभागार में आयोजित किसान दिवस कार्यक्रम को बतौर मुख्यातिथि संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कार्यक्रम में प्रदेश के सभी 22 जिलों के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में किसानों के मसीहा व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की तांबे से बनी 9 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया और पराली प्रबंधन संयत्र का भी निरीक्षण किया। उन्होंने विश्वविद्यालय में शोध कार्य (आर एंड डी) के लिए 31 लाख रुपये देने की घोषणा की।
उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने विश्वविद्यालय पहुंचने पर सर्वप्रथम पूर्व उप-प्रधानमंत्री व अपने परदादा चौ. देवीलाल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उन्हें श्रद्घासुमन अर्पित किए। उन्होंने यहां लगाई गई प्रदर्शनी का शुभारंभ व इसका अवलोकन भी किया। उन्होंने ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभांरभ किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दोनों ने ही किसानों के हितों को सर्वापरि रखा जिनकी स्मृति में आज यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। हरियाणा ने जब से जय जवान और जय किसान के साथ जय विज्ञान की सोच को अपनाया तभी से यह प्रदेश कृषि के क्षेत्र में नित नई ऊंचाइयों पर चढ़ता चला गया, लेकिन इसके बावजूद आज भी हमारे किसानों व खेती के विकास की अपार संभावनाएं हो सकती हैं जिनका लाभ उन तक पहुंचाने के लिए हकृवि जैसे संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमारे किसानों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने लायक बनाने की जरूरत है। यदि हम दिल्ली-एनसीआर की मार्केट का लाभ अपने किसानों को दिलवा सकें तो यह कृषि की तस्वीर व तकदीर को बदलने वाली बात होगी। प्रदेश में काबिलियत मौजूद है और तकनीक व शोध की सुविधा दी जाए तो हरियाणा का किसान अन्य सभी प्रदेशों के किसानों से आगे निकल सकता है। इसका उदाहरण हम विगत में देख चुके हैं। हरित क्रांति पंजाब में आई तो श्वेत क्रांति गुजरात में आई, वही नीली क्रांति आंध्रप्रदेश में आई लेकिन हरियाणा इन तीनों क्रांतियों का लाभ उठाने वाला प्रदेश बना।
उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि आज महिला किसान भी प्रगतिशील रवैया अपनाकर खेती, पशुपालन व स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे रही हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के अधिकारियों को सलाह दी कि वे अपने यहां रैक्सिन व लैदर के बैग और फाइल कवर के स्थान पर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा बनाए जाने वाले जूट के बैग व फाइल कवर के प्रयोग को बढ़ावा दें। उन्होंने प्रदेश के अनेक ऐसे किसानों के उदाहरण दिए जिन्होंने खेती अथवा बागवानी में नई सोच को अपनाकर अपनी आमदनी को कई गुणा बढ़ा लिया और दूसरे किसानों के समक्ष नए उदाहरण प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को हमें इस प्रकार प्रशिक्षित करना होगा कि उसे खेती मजबूरी या घाटे का सौदा न लगे और वह अन्य व्यवसायों की तरह ही इसे अपनाए।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह ने की जबकि पद्मश्री डॉ. विजयपाल सिंह ने कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की। कार्यक्रम में पुरातत्व-संग्रहालय व श्रम-रोजगार राज्यमंत्री अनूप धानक सहित अनेक विशिष्ट व्यक्तियों ने शिरकत की।
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