सत्य खबर, दिल्ली
AIMIM चीफ असदुद्दीन औवेसी पर हुए हमले की परतें खुलनी चाहिए, लेकिन पुलिस परत पर परत चढ़ाए जा रही है। घटनास्थल के CCTV फुटेज कुछ और बयां करते हैं, ओवैसी अपने बयान और ट्वीट से कुछ और दास्तां बता रहे हैं। वहीं, 12 घंटे बाद पिलखुआ थाने में बनाई गई कहानी (दूसरी FIR) तो दोनों से अलग पिक्चर पेश कर रही है।
तीनों की कड़ियां जोड़ी जाएं तो एक भी कड़ी किसी से जुड़ती नहीं दिख रही है। सभी की बातें विरोधाभासी हो गई हैं। ओवैसी के ट्वीट में एक पिस्टल मौके पर गिरी दिखाई गई थी, जबकि पुलिस ने रिकॉर्ड में लिखा कि दोनों हमलावरों से पिस्टल बरामद की गई है। ऐसे में, जब मामला कोर्ट में आएगा तो संदेह का लाभ हमलावरों को मिलना तय है। फिलहाल, इस संदेह का फायदा राजनीतिक दल उठाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की समझदार जनता सब समझ रही है।
क्या कहती हैं CCTV की तस्वीरें?
पहली गोली शुभम ने चलाई, बाद में सचिन ने दूसरी गाेली गाड़ी पर चलाई। घटना के दो फुटेज सामने आए हैं। दोनों के मुताबिक, हमलावर बूथ के आगे थे और ओवैसी की गाड़ी पीछे। सबसे पहले रेड हुडी में शुभम गोली चलाता दिखता है, जिसे बाद में सफेद रंग की गाड़ी टक्कर मारती दिखती है। यह गाड़ी ओवैसी की नहीं है। उसके बाद सफेद हुडी में सचिन गोलियां चलाता है, वह भी किसी दूसरी गाड़ी पर। यह ओवैसी की गाड़ी हो सकती है। उसके बाद दोनों भाग जाते हैं।
क्या कहते हैं औवेसी के बयान?
बैरियर से पहले गोलियां चलीं, धमाके हुए तो पूछा क्या हुआ, तो यामीन ने कहा- भाई हमला हुआ है। देखा रेड हुडी वाला गोली चला रहा था। यामीन ने आगे की गाड़ी को टक्कर मारी और हमारी गाड़ी आगे भगाई। सफेद हुडी वाले ने हमारे पीछे आ रही फॉर्च्यूनर पर गोलियां चलाईं। ओवैसी ने 9 बजे हमले का ट्वीट किया, 9.49 पर दूसरे ट्वीट में टोल बूथ के मौके पर गिरी हुई पिस्टल बताई, जिस पर कलावा नहीं था।
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पुलिस की दूसरी FIR: दोनों ने साथ गोलियां चलाईं, दोनों के कब्जे से पिस्टल मिली
यामीन ने 3 फरवरी की रात 9.35 बजे हमले की FIR (0045) दर्ज कराई। जांच करने वाले अफसर अभिनंदर पुंडीर ने 12 घंटे बाद सुबह 9.32 बजे अपनी ओर से दूसरी FIR (0046) दर्ज की। इसके मुताबिक रात 11 बजे सचिन को पकड़ा गया, तब उसके कब्जे से कलावा बंधी पिस्टल जब्त की। बाद में, सुबह 4 बजे शुभम पकड़ा गया तो उसने गन्ने के खेत में छुपा रखी अपनी पिस्टल बरामद करवाई। दोनों ने साथ गोलियां चलाईं, सचिन को गोली चलाते हुए ओवैसी ने देख लिया था, इसलिए वे नीचे झुक गए तब सचिन ने नीचे फायर किए।
इस कहानी में झोल नजर आ रहा है, 6 झूठ तो एकदम साफ दिख रहे हैं
ओवैसी कहते हैं कि हमले की जानकारी उन्हें धमाके सुनने व यामीन के बताने से हुई। यानी, उन्होंने सचिन को गोली चलाते हुए नहीं देखा और न ही वे नीचे झुके, लेकिन पुलिस की कहानी कहती है कि ओवैसी ने सचिन को गोली चलाते हुए देख लिया था।
ओवैसी ने घटना की रात 9.49 बजे एक ट्वीट किया जिसमें घटनास्थल दिखाया गया था, इसमें मौके पर एक पिस्टल पड़ी हुई दिखाई दे रही है, लेकिन पुलिस ने सचिन को रात 11 बजे व शुभम को सुबह 4 बजे गिरफ्तार कर दोनों से पिस्टल बरामद करना बताया तो मौके पर दिखने वाली पिस्टल पुलिस रिकॉर्ड से गायब कैसे हो गई।
पुलिस की FIR के मुताबिक, सचिन का फेसबुक पेज देशभक्त सचिन हिंदू के नाम से है और वह हिंदू विरोधी भाषणों के कारण ही ओवैसी को मारना चाहता था इसलिए सचिन ओवैसी की पार्टी से धौलाना में चुनाव लड़ने वाले आरिफ से लगातार संपर्क में रहता था। कहानी यह कहती है कि ओवैसी की पार्टी के आरिफ और देशभक्त सचिन हिंदू के बीच दोस्ती थी।
ओवैसी पर हमले की पहली FIR जो यामीन ने दर्ज कराई है, उसमें उसने घटना के गवाहों के नाम भी लिखे हैं, लेकिन पुलिस की दूसरी FIR में जब सचिन और शुभम की गिरफ्तारी, साथ ही वारदात में इस्तेमाल हथियार बरामद करने का दृश्य लिखा जाता है, तो कभी रात बता कर और अल सुबह ठंड बता कर स्वतंत्र गवाह नहीं मिलने की मजबूरी लिखी गई है।
पुलिस की FDR में सचिन कहता है कि उसने जनवरी 22 को गाजियाबाद में हमले की योजना बनाई थी। वह घटना के दिन मेरठ, किठौर की सभाओं में भी गया था, लेकिन वहां भीड़ थी इसलिए मौका नहीं मिला। उसे मौका टोल बूथ पर ही नजर आया, लेकिन किठौर से टोल बूथ के बीच 70 किलोमीटर में 3 जगह ऐसी आती है, जहां गाड़ी टोल बूथ से भी धीमी होती है। वहां न CCTV लगा हुआ है न ही लोग मौजूद रहते हैं।
सचिन ने कितनी गोलियां चलाईं, इसमें भी विरोधाभास है। शुभम ने एक गोली चलाई, फिर फायर नहीं हुआ, उसके पास 10 गोली थी, 9 बरामद हो गईं। सचिन के पास 12 गोली थीं, बरामद 7 हुईं। यानी उसने पांच गोली खर्च की। ओवैसी की गाड़ी पर तो 2 गोलियां लगीं, बाकी 3 कहां लगीं? पुलिस के पास इसका जवाब नहीं है।
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