कहा: ‘राज’ खुलने से पहले ही चलाई- ”घोटाले दबाओ, घोटालेबाज बचाओ” योजना
चंडीगढ़, महाबीर मित्तल
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बड़ा ब्यान देते हुए कहा कि हरियाणा प्रदेश की मनोहर लाल सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान पारदर्शिता, मैरिट और ‘बिना पर्ची, बिना खर्चीÓ के ‘तीन जुमले’ फेंके हैं। इस सरकार के 7 साल में 32 पेपर लीक हुए व भर्ती घोटाले उघड़े लेकिन 7 साल में कोई जांच परिणाम तक नहीं पहुंची, न ही किसी अपराधी की सजा हुई। खट्टर सरकार हर नौकरी भर्ती घोटाले को इतनी सफाई से दबाती है कि इनके कमीशन के ‘चेयरमैनÓ, ‘मेम्बर्सÓ और सरकार में बैठे ‘सफेदपोशÓ साफ बच निकलते हैं। अदालतें फटकार लगाती रहती हैं लेकिन, खट्टर सरकार की पुलिस जानबूझकर कोर्ट में सबूत ही पेश नहीं करती और आरोपी छूट जाते हैं। महाव्यापम घोटाले या ”अटैची दो-नौकरी लोÓÓ कांड में भी खट्टर सरकार व उसके पुलिस विजिलैंस विभाग ने पूरा मामला रफादफा करने की तैयारी कर ली है। एक बार फिर एचपीएससी के चेयरमैन व मैंबर्स, एचएसएससी के चेयरमैन व मैंबर्स, सरकार में बैठे बड़े-बड़े सफेदपोश तथा रिश्वत देकर नौकरी लगने वाले सभी लोग जांच के दायरे से ही बाहर रख साफ बचा दिए गए हैं।
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सुरजेवाला ने सरकार से पूछा कि एप्लीकेशन पोर्टल-स्कैनिंग-पेपर चेकिंग करने वाली ‘हटाई गई कंपनीÓ को एचपीएससी की भर्ती का ठेका क्यों व कैसे दिया? एफआईआर रिमांड एप्लीकेशंस में नामजद आरोपियों की जाँच-गिरफ्तारी-कार्रवाई क्यों नहीं हुई? अटैची रिश्वत कांड की एफआईआर 17 नवंबर में फर्जी ओएमआर शीट भरने तथा रिश्वत का पैसा लेने का सीधा इल्ज़ाम जसबीर सिंह भलारा व उसकी कंपनी मैसर्स सेफडॉट ई-सॉल्यूशन प्राईवेट लिमिटेड व आरोपी नवीन पर लगा है। विजिलैंस की जांच में तथा अदालत के सामने पेश की गई रिमांड एप्लीकेशन में अश्विनी शर्मा; अनिल नागर, डिप्टी सैके्रटरी, एचपीएससी व विजय भलारा, कर्मचारी, मै. सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राईवेट लिमिटेड का नाम स्पष्ट तौर से आरोपी के तौर पर सामने आया है। जानकारी के मुताबिक पूर्व एचपीएससी के चेयरमैन के समय साल 2020 में जसबीर सिंह की कंपनी को ”हटा दियाÓÓ गया था। मौजूदा एचपीएससी चेयरमैन, आलोक वर्मा के कार्यभार सम्हालने के बाद एचपीएससी की भर्तियों का काम एक बार फिर जसबीर सिंह की कंपनी को दे दिया गया। सवाल यह है कि एक ‘हटाई गईÓ कंपनी को क्यों, किस कारण, किस हालात व किसके कहने से एचपीएससी की इतनी महत्वपूर्ण भर्तियों का काम दिया गया? इस बारे एचपीएससी के चेयरमैन व सदस्यों से विजिलैंस द्वारा पूछताछ क्यों नहीं की गई? सवाल यह भी है कि जब स्नढ्ढक्र व विजिलैंस की रिमांड एप्लीकेशंस में साफ तौर से जसबीर सिंह भलारा, मालिक, मैसर्स सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राईवेट लिमिटेड व उसके कर्मचारी विजय भलारा का नाम आरोपी के तौर पर आया है, तो विजिलैंस विभाग ने उनकी जाँच, गिरफ्तारी व कार्यवाही क्यों नहीं की? क्या मुख्य आरोपी होने के बावजूद कृपादृष्टि इसलिए क्योंकि सत्ता में बैठे सफेदपोशों का आशीर्वाद इनके साथ है? क्या विजिलैंस विभाग अनिल नागर, अश्विनी शर्मा और नवीन की जांच के नाम पर ढकोसला कर पूरा मामला रफा-दफा कर रहा है?
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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल मीडिया में दोषियों को नहीं बख्शने की छाती ठोंकते हैं, और ऐसा लगता है कि दूसरी ओर ”विशेष आदेशोंÓÓ के चलते विजिलैंस विभाग अनिल नागर, अश्विनी शर्मा और नवीन को मौज करवा रहे हैं और जाँच का ‘ढकोसलाÓ कर रहे हैं। यह विजिलैंस विभाग द्वारा अदालत में पेश किए गए कागजातों से साफ है, जिनके मुताबिक आरोपियों से उनके द्वारा स्वीकारे हुए तथाकथित साक्ष्यों की ”जीरो रिकवरीÓÓ हुई है। यही नहीं, विजिलैंस विभाग द्वारा 18 नवंबर से 23 नवंबर, यानि 6 दिनों में दी गई अलग-अलग दरख्वास्तों में एक ही आरोपी से साक्ष्यों की रिकवरी की जगह भी अलग-अलग बताई गई है। पर रिकवरी फिर भी नहीं हुई। साल 2018 में भी एचएसएससी के ‘कैश फॉर जॉब स्कैमÓ में भी सीएम सक्वायड की तथाकथित कार्रवाई के बाद असिस्टैंट लेवल व ठेका कर्मचारियों सहित सिर्फ 9 लोगों को ही अभियुक्त बनाया गया व चेयरमैन, मैंबर्स तथा सफेदपोश साफ बच निकले। एसआईटी ने अदालत को बताया कि इन छोटी मछलियों को भी कॉल डिटेल्स के आधार पर गिरफ्तार किया गया और उनके कॉल डिटेल में 2000 चयनित कैंडिडेट्स की डिटेल्स मिलीं लेकिन एक भी चयनित कैंडिडेट को तफ्तीश के लिए नहीं बुलाया और न ही इंटरव्यू में नंबर लगाने वाले के चेयरमैन और मेंबर को। 4 दिसंबर, 2018 को इस नहीं के बराबर हुई जांच पर अदालत ने तीखी और तल्ख़ टिप्पणियां कीं तथा साफ तौर से असली आरोपियों को बचाने की कोशिश बताते हुए खट्टर सरकार को सप्लीमेंटरी चार्जशीट पेश करने का आदेश दिया। पर आज तक न सप्लीमेंटरी चार्जशीट आई और न ही कोई और आरोपी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रेसवार्ता में एक बार फिर झूठ बोला कि 48 लोग पकड़े गए हैं, जबकि सप्लीमेंटरी चार्जशीट आई ही नहीं और छोटी-छोटी मछलियों सहित केवल 9 अभियुक्त हैं। सवाल यह है कि क्या मौजूदा ‘अटैची कांडÓ भी ‘कैश फॉर जॉब स्कैमÓ की तरह एक जुमला बनकर रह जाएगा। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार और भर्ती आयोगों में बैठे नौकरियों के दलाल जान लें कि प्रदेश के युवाओं की आवाज कांग्रेस पार्टी दबने नहीं देगी।
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