सत्यखबर,जींद
लंबा चलते जा रहे किसान आंदोलन के बीच राज्य व केंद्र सरकार किसानों को अब अफवाहों के दौर से निकालने की जोरआजमाइश में जुट गई हैं। सरकार किसानों को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि कृषि कानूनों पर झूठी अफवाहें फैलाकर विपक्ष उन्हें गुमराह कर अपना सियासी स्वार्थ साध रहा है। लिहाजा बात ‘जिदÓ से नहीं ‘चर्चाÓ से ही बनेगी और आंदोलन का गतिरोध भी आपसी बातचीत से ही खत्म होगा। सरकार ने इसके लिए अब एक प्रश्नावली तैयार की है। यह प्रश्नावली कृषि कानूनों संबंधी उस प्रस्ताव पर तैयार की गई है,जिसे सरकार ने पिछले दिनों किसान संगठनों के सामने विचार के लिए पेश किया था। इस प्रश्नावली में सवालों के जवाब भी साथ दिए गए हैं। जिसका प्रचार विभिन्न माध्यमों से किसानों के बीच उनकी शंकाओं को दूर करने के लिए किया जा रहा है।
सरकार कोशिश कर रही है कि इस प्रश्नावली के जरिए किसानों को न केवल कृषि कानूनों के अहम पहलुओं से अवगत करवाया जाए, बल्कि किसान नेताओं को यह भी बताया जाए कि उनकी अधिकतर मांगों को स्वीकार करते हुए सरकार इन कृषि बिलों में संशोधन को तैयार है। साथ ही उन्हें एमएसपी पर लिखित गारंटी भी देगी। जवाब समेत इस प्रश्नावली का प्रचार सोशल मीडिया समेत विभिन्न प्लेटफार्म पर किया जा रहा है,ताकि यह ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंच सके।
प्रश्नावली में इन शंकाओं का किया जा रहा निदान
सरकार द्वारा जिस प्रश्नावली का प्रचार किया जा रहा है उसमें किसानों की सबसे बड़ी शंका यह है कि नए कृषि कानून से आगामी समय में सरकारी मंडियां बंद हो जाएंगी और कृषि उपज का व्यापार निजी हाथों चल जाएगा। इस पर सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार एमएसपी की व्यवस्था बनी रहे, इसके लिए लिखित आश्वासन देगी। किसानों के अनुसार बिजली संशोधन विधेयक से कृषि सेक्टर की बिजली बहुत महंगी हो जाएगी। सरकार का जवाब है कि किसानों की बिजली भुगतान की वर्तमान व्यवस्था जारी रहेगी। राज्य सरकार एडवांस में सब्सिडी किसानों के खातों में जमा करवाएगी। पराली जलाने के संबंध में तैयार किया गया एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ऑफ एनसीआर विधेयक को खत्म किया जाए और इसके अंतर्गत पराली जलाने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान खत्म किया जाए। सरकार का कहना है कि इस मामले में भी सरकार किसानों की हर आपत्तियों का समाधान करेगी। किसान चाहते हैं कि कांट्रैक्ट फार्मिंग का भी पंजीकरण हो। केंद्र सरकार के अनुसार यह राज्य सरकार के पास कांट्रैक्ट फार्मिंग के लिए पंजीकरण की व्यवस्था बनाने का प्रावधान पहले से ही है। इसके अलावा कृषि व्यापार से पहले व्यापारी के पंजीकरण के लिए भी नियम बनाने का अधिकार भी राज्य सरकार को दिया जाएगा।
हरियाणा सरकार को निर्देश, जिलों में न भड़के आंदोलन
सूत्रों के अनुसार,केंद्र सरकार ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिए हैं कि आंदोलन की आंच जिला स्तर पर स्थायी रूप से नहीं रहनी चाहिए। 14 नवंबर को किसान नेताओं के आह्वान पर जिला मुख्यालयों पर किसानों का धरना प्रदर्शन व भूखहड़ताल की गई थी। हरियाणा के हर जिले में भी यह प्रदर्शन हुए। इसके अलावा दिल्ली सीमाओं पर जो किसान बीस दिन से धरने पर बैठे हैं, वह अधिकतर इलाका भी हरियाणा का ही है। लिहाजा केंद्र ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं कि किसानों का यह आंदोलन जिला स्तर पर स्थायी रूप से न रहे और न ही कानून व्यवस्था बिगड़े। कोशिश रहे कि स्थानीय स्तर पर किसानों को शांत करके रखा जाए।
किसान तय करेंगे आंदोलन की नई रणनीति, नया रुख
आंदोलन का अगला चरण क्या रहेगा। इसकी रणनीति किसान तय करेंगे। आंदोलनरत किसानों की संयुक्त किसान मोर्चा जल्द ही बैठक कर अपनी रणनीति का खुलासा करेगी। अभी किसान संगठनों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है एकजुट रहना और अपने आंदोलन को असामाजिक तत्वों से दूर रखते हुए शांतिपूर्ण बनाए रखना। भाकियू अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि किसान इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि कृषि कानून वापस लिए जाएं। सरकार का कहना है कि किसानों से बातचीत के लिए उनके दरवाजे खुले हैं।
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