सत्य खबर, चण्डीगढ़। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को बारिश की संभावनाओं को देख फसल सुरक्षित रखने को कई उपाय बताए हैं। बारिश को देखते किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को खड़ी फसलों में सिंचाई तथा किसी भी प्रकार का छिडक़ाव नहीं करना चाहिए।
मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान सरसों की फसल में चेपा कीट की नियमित निगरानी करते रहें। अधिक कीट होने पर इमिडाक्लोप्रिड़ दवा का 0.25 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिडक़ाव करें। तय तभी करें, जब आसमान साफ हो। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि भौतिकी संभाग ने किसानों को एडवाइजरी जारी की है।
इस टीम में कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनंता वशिष्ठ, डॉ. कृष्णन, डॉ. देब कुमार दास, डॉ. बीएस तोमर, डॉ. जेपीएस डबास, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. पी सिन्हा एवं डॉ. सचिन सुरेश सुरोशे शामिल हैं। साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि संबंधी यह सलाह 29 दिसंबर 2021 तक के लिए है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंश 3-4 प्रपंश ट्रैप्स प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं, जहां पौधों में 10-15 फीसदी फूल खिल गए हों। वहीं, कीटों के नियंत्रण के लिए खेत और उसके आसपास टी आकार के पक्षी पर्च स्थापित करें।
गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंश दर 3-4 प्रपंश प्रति एकड़ खेतों में लगाएं। सब्जियों की फसल का विशेष ध्यान रखें। इस समय किसान कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती फसल के लिए यह तैयारी कर सकते हैं।
ऐसी सब्जियों के अगेती फसल के पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटे पॉलीथीन के थैलों में भरकर पाली घरों में रखें। इस मौसम में तैयार बंदगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेडों पर कर सकते हैं। यही नहीं, इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुवाई भी कर सकते हैं। पत्तों के बढ़ाव के लिए 20 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव कर सकते हैं।
पूसा के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस मौसम में आलू तथा टमाटर में झुलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें। लक्षण दिखाई देने पर कार्बंडिजम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें।
प्याज की समय से बोई गई फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। प्याज में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें। रोग के लक्षण पाए जाने पर डाएथेन-एम-45 का छिडक़ाव करने की सलाह दी जाती है। वहीं, मटर में फलियों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए ताकि मटर का अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मटर की फसल पर 2 फीसदी यूरिया के घोल का छिडक़ाव करें, जिससे मटर की फल्लियों की संख्या में वृद्धि होगी। शीत लहर एवं पाले से फसल की सुरक्षा के उपाए पौधशालाओं के पौधों एवं सीमित क्षेत्र वाले उद्यानोंंं/नकदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के तापमान को कम न होने देने के लिये फसलों को टाट, पॉलीथिन अथवा भूसे से ढक दें।
वायुरोधी टाटियां, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तर-पश्चिम की तरफ बांधें। नर्सरी, किचन गार्डन एवं कीमती फसल वाले खेतों में उत्तर पश्चिम की तरफ टाटियां बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाएं तथा दिन में हटाएं।
जब पाला पडऩे की संभावना हो, तब फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। सिंचाई जब ही करें जब आसमान साफ हो।
इन दिनों फसलों पर घुलनशील गंधक 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) में घोल बनाकर छिड़काव करें। ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की संभावना बनी रहे तो छिड़काव को 15-15 दिन के अंतर से दोहरातें रहें या थायो यूरिया 500 पीपीएम (आधा ग्राम) प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिडक़ाव करें।
पेड़ दीर्घकालीन उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेंडों पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बाबुल, खेजड़ी, अरडू आदि लगा दिए जाए तो पाले और ठंडी हवा के झौंकों से फसल का बचाव हो सकता है।
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