सत्य खबर, चण्डीगढ़ (सरिता धीमान)। देश में कोरोना संकट की वजह से भारत सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले डी ए पर रोक लगा दी गई है जो एक जुलाई 2021 तक जारी रहेगी। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य प्रधान सी एन भारती, महासचिव जगरोशन, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र बाटू व जिला सचिव अशोक कुमार सैनी ने केन्द्र सरकार के इस फैसले को गलत बताते हुए केन्द्र सरकार से इस पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार का फैसला चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर उच्च अधिकारियों तक एक समान रूप से लागू करना किसी भी प्रकार से जायज नहीं ठहराया जा सकता। सभी कर्मचारी पहले भी मुख्यमंत्री राहत कोष व प्रधानमंत्री कोरोना रिलीफ फंड में बढ़ चढ़ कर अपना योगदान दे चुके हैं। डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, पैरामैडिकल स्टाफ सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मचारी, बिजली विभाग के कर्मचारी, जन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, आंगनवाड़ी व आशा वर्कर और अध्यापकों सहित सभी विभागों के कर्मचारी बिना सुरक्षा किट के करोना जैसी महामारी का सामना करते हुए जनता की सेवा में पहले से ही लगे हुए हैं। एक वेतनमान ही कर्मचारी के जीवन यापन का सहारा होता है। इसलिए जुलाई 2021 तक डी ए फ्रीज कर देना कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय होगा। सरकार को अगर कोरोना रिलीफ के लिए धन की जरूरत है तो देश में जो 1 प्रतिशत लोग 73 प्रतिशत संपदा पर कब्जा किए बैठे हैं पहले उन पर हाथ डालना चाहिए न की हर रोज कमा कर खाने वाले लोगों पर अन्याय करना चाहिए। उसके बाद बड़े-बड़े चंदे लेने वाले राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील की जानी चाहिए जिन्होंने करोड़ों रुपए की संपदा एकत्र कर रखी है। सरकार द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार जुलाई 21 तक डी ए फ्रीज किया जायेगा। उसके बाद परिस्थितियों के अनुसार डी ए की किस्त जारी कर दी जाएगी लेकिन पीछे का कोई बकाया नहीं दिया जाएगा। अध्यापक संघ का मानना है कि जुलाई 2021 तक सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों पर इसकी दोहरी मार पड़ेगी। इसलिए इस दौरान संवानिवृत होने वाले कर्मचारियों को डी ए लगाकर उनका अंतिम भुगतान किया जाए। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ सरकार के इस फैसले की घोर निंदा करता है और इस पर विचार करके इसे वापस लेने की मांग करता है।
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