सत्यखबर, इलाहाबाद
इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुरुवार को खुशी दुबे की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है। जस्टिस जेजे मुनीर की कोर्ट में दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई है। सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अपना पक्ष रखा। जबकि खुशी के वकील कृपा शंकर मिश्रा ने खुशी को जमानत दिये जाने के लिए तर्क दिए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस जेजे मुनीर ने फैसले को सुरक्षित कर लिया है। खुशी के वकील प्रभा शंकर मिश्र ने बताया कि अगले कुछ दिनों में फैसला आने की उम्मीद है।
खुशी दुबे के वकील ने उसके बेगुनाह होने और जेल में सेहत खराब होने का हवाला देकर जमानत पर रिहा किए जाने की कोर्ट में अपील की है।
बता दें कि हाईकोर्ट में खुशी के वकील प्रभाशंकर मिश्र ने खुशी की तरफ से जनवरी में जमानत अर्जी दाखिल की थी। इस जमानत अर्जी पर यूपी सरकार अपना जवाब दाखिल कर चुकी है। कोरोना की वजह से पिछले कई महीने से सुनवाई नहीं हो सकी थी। मामले में खुशी दुबे के नाबालिग होने के चलते स्पेशल बेंच में सुनवाई हो रही है।
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बता दें कि 2 जुलाई 2020 की रात में बिकरू कांड हुआ था। बिकरू के पास दूसरे गांव में रहने वाले राहुल तिवारी ने 2 जुलाई की रात विकास दुबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। उसने आरोप लगाया था कि 6 बीघा जमीन के विवाद में विकास दुबे ने उसको जान से मारने की कोशिश की थी। इस मामले में उसी रात सीओ देवेन्द्र मिश्र के नेतृत्व में तीन थानों की फोर्स रात 1 बजे विकास के घर के पास पहुंची थी। उसी वक्त विकास दुबे और उसके साथियों ने पुलिस टीम पर हमला बोल कर ताबडतोड़ फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में सीओ देवेंद्र मिश्र सहित 8 पुलिस कर्मी शहीद हो गये थे। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 8 दिनों के अंदर विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को एनकाउंटर में मार गिराया गया था।
वहीं 29 जून 2000 को खुशी की शादी बिकरू में रहने वाले अमर दुबे के साथ हुई थी। यह शादी विकास दुबे ने अपने घर से कराई थी। शादी और पार्टी का पूरा खर्च भी विकास ने किया था। खुशी की मां सावित्री तिवारी का कहना है कि उनको नहीं मालूम था कि अमर दुबे विकास दुबे का साथी है। शादी कराने वाले मध्यस्थ ने अमर दुबे को ठेकेदार बताया था। 8 जुलाई को पुलिस ने अमर को हमीरपुर के पास मौदहा में एनकाउंटर में मार गिराया था।
एनकाउंटर में मारे गये अमर दुबे की पत्नी खुशी को भी अभियुक्त बनाया गया है। उस पर 17 गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। अमर दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने की रात खुशी को भी जेल भेजा गया था। दो महीने कानपुर देहात जिला जेल में रहने का बाद किशोर न्याय बोर्ड ने खुशी को उसके मार्कशीट,आधार कार्ड और मेडिकल के आधार पर नाबालिग घोषित किया। खुशी के वकील शिवकांत दीक्षित का आरोप है कि पुलिस ने बिना कार्रवाई के एक नाबालिग बच्ची को जेल में डाला। खुशी के नाबालिग साबित होने के बाद उसको बाराबंकी के महिला संप्रेक्षण गृह भेजा गया था। अब इसी आधार पर जमानत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी लगाई गई थी। जिस पर आज गुरूवार को सुनवाई पूरी हो गई। कुछ ही दिनों मेेंं फैसला आ सकता है।
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