सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
मन में अगर कुछ करने की तमन्ना और नेक इरादा हो, तो कोई भी विपरीत परिस्थिति आपको आगे बढऩे से नहीं रोक सकती। ऐसा ही कुछ कर गुजारना चाहता है दनौदा का छोरा। सचिन का माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए चयन इस बात का उदाहरण है। जीतने के लिए एक जुनून एक जिद चाहिए होती है और दनौदा के छोरे ने जिद ठानी हुई है कि मुझे दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ पर चढ़कर हिंदुस्तान के तिरंगे का मान बढ़ाना है। 28 वर्षीय सचिन दनौदा अभी तक कन्याकुमारी से कश्मीर तक तथा अरुणाचल से गुजरात तक बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ व पर्यावरण संरक्षण को लेकर साइकिल यात्रा कर चुके हैं। इन सबके साथ सचिन हिंदुस्तान के 7 पर्वतों की चोटियों पर सफलतापूर्वक तिरंगा लहरा चुके हैं, लेकिन इतनी उपलब्धि होने के बाद भी आज तक सचिन दनौदा को कोई आर्थिक मदद नहीं मिली, जिससे उनका दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने का सपना सफल हो सके। दनौदा गांव का यह बेटा दिन-रात मेहनत करके अपने सपने को पूरा करने में लगा हुआ है। दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ पर चढऩे में 2 महीने का वक्त लगता है और इसकी ऊंचाई 29021 फीट है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है, यहां पर पर्वतारोही अपनी जान हथेली पर लेकर जाते हैं क्योंकि सबसे ज्यादा मौतें इस पहाड़ को चढऩे में होती है। इस पहाड़ पर चढऩे की चयन प्रक्रिया बड़ी जटिल है। इसके लिए पहले पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है, उसको ए ग्रेड से उत्तीर्ण करना उसके बाद ही आपका चयन हो पाता है।
माउंट एवरेस्ट पर अप्रैल में चढ़ाई करेगा सचिन
सचिन दनौदा का माउंट एवरेस्ट के लिए चढ़ाई होना हलका नरवाना के लिए बहुत बड़ी खुशी की खबर है। क्योंकि नरवाना क्षेत्र से अभी तक किसी भी महिला या पुरूष ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए आवदेन नहीं किया है। सचिन दनौदा अप्रैल से 2 जून, 2020 माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करेगा। अगर सचिन दनौदा माउंट एवरेस्ट पर जाकर तिरंगा झंडा फहराता है, तो नरवाना और जिला जींद के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
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