सत्य खबर,चंडीगढ, अशोक छाबरा
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि केवल अभियुक्तों के बयान को आधार बनाकर जांच पूरी करने के परंपरागत तरीके के स्थान पर जांच के वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना जरूरी है। किसी भी तरह के अपराध में पहले भौतिक साक्ष्य को सूचीबद्ध और एकत्र करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने सरकार को सलाह दी है कि वो पुलिस अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक पाठ्यक्रम सामग्री के साथ प्रशिक्षित करे। हाई कोर्ट ने कहा लंबे समय से चल रहे बयान के आधार पर आरोप पत्र पेश करने की प्रथा खत्म करना जरूरी है। जांच वैज्ञानिक तरीके व विस्तृत दायरे के साथ करने पर काम होना चाहिए,जिसमें केवल साक्ष्य जांच का आधार बने न कि बयान। हरियाणा के चर्चित फर्जी बीमा घोटाले में सोनीपत पुलिस की जांच में कमी व सुुबूतों के अभाव पर हाई कोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार त्यागी ने यह टिप्पणी की है। फर्जी बीमा घोटाले में मृतक कैंसर रोगियों के बीमा दावों को सड़क दुर्घटनाओं में मौत साबित करके दिखाया जाता था। हाई कोर्ट ने डीजीपी हरियाणा और अभियोजन निदेशक हरियाणा को भी निर्देश दिया है कि वे वर्तमान मामलों में दायर आरोप पत्र को देखें और जांच में देखी गई कमियों के संबंध में अपने हलफनामे दाखिल करें। हाई कोर्ट ने जांच व आरोप पत्र दायर करने के वर्तमान तरीकों के स्थान पर वैज्ञानिक व अन्य सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कमेटी की सिफारिश की है।
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सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इस मामले में अभियुक्त पवन भोरिया के संबंध में की गई पुलिस जांच में बड़े स्तर पर खामियां पाई। इसी के आधार पर हाई कोर्ट भोरिया को नियमित जमानत भी देने का आदेश दिया। भोरिया के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को वर्तमान मामलों में अभियुक्त के रूप में गलत तरीके से आरोपित किया गया है। याची के खिलाफ पहला मामला 19 अप्रैल,2019 को दर्ज किया गया था। बाद में उन्हें जमानत दे दी गई थी। जमानत पर उनकी रिहाई को रोकने के लिए उन्हें एक के बाद एक मामलों में झूठा फंसाया गया। उसने पुलिस द्वारा दर्ज बयान पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया। इन्हीं कथित बयानों के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किए गए हैं। कोर्ट में बताया गया कि आरोप पत्र में उसके खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं किया। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने देखा कि अभियुक्त के खिलाफ आरोप पत्र में केवल इस बात का उल्लेख है कि उसके खिलाफ पर्याप्त प्रमाणिक साक्ष्य थे। कोर्ट ने कहा कि कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि कितने और क्या भौतिक साक्ष्य हैं। कोर्ट ने कहा कि इसी तरह की अधूरी जांच के कारण ही काफी संख्या में आरोपी बरी हो जाते हैंं। हाई कोर्ट ने उठाए गए सभी सवालों के जवाब तलब करते हुए मामले की सुनवाई 1 अप्रैल तक स्थगित कर दी।
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