सफीदों, महाबीर मित्तल
छोटे साहिबजादो के शहीदी सप्ताह के उपलक्ष में नगर के खानसर चौंक स्थित गुरुद्वारा साहिब के बाहर गांव धर्मगढ़ बोहली के तत्वाधान में लंगर लगाया गया। इस मौके पर प्रात: गुरूद्वारा में संकीर्तन हुआ। अरदास के उपरांत राहगीरों को चाय व पकौड़े का प्रसाद वितरित किया गया। इस कार्यक्रम सिख युवाओं ने विशेष रूप से अपनी भागीदारी दी। अपने संबोधन मे गुरूद्वारा के ग्रंथी ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादों ने मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके और अपनी शहादत दे दी। दशमेश पिता गुरू गोबिन्द सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहीदी को कोई नहीं भुला सकता है, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए महान शहादत दी। गुरू गोबिन्द सिंह के चारों साहिबजादों की शहीदी को कोई भूले से भी नहीं भुला सकता है। गुरू गोबिन्द सिंह के बड़े साहिबजादें बाबा अजीत सिंह और जुझार सिंह चमकौर की जंग में मुगलों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह को सरहंद के सूबेदार वजीर खान ने जिंदा दीवारों में चिनवा दिया था।
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