सत्य खबर, नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित भड़काऊ नारेबाजी के आरोपी पिंकी चौधरी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। पिंकी चौधरी को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे यहां तालिबान का राज नहीं हैं। कानून का राज ही हमारे समाज में सबसे पवित्र शासन सिद्धांत है इसलिए ऐसे लोगों को राहत नहीं दी जा सकती है । बता दें कि पिंकी हिंदू रक्षा दल नाम के एक संगठन का सदस्य है।
भड़काऊ नारेबाजी के मामले में पुलिस ने आईपीसी 153(A) (अलग-अलग समुदायों में दुश्मनी पैदा करना) और 188 के तहत एफआईआर दर्ज की है। मामले में पुलिस ने पिंकी चौधरी को भी आरोपी बनाया है। चौधरी इस मामले के प्रमुख आरोपियों में से है। गिरफ्तारी से बचने के लिए पिंकी ने कोर्ट से अग्रिम जमानत मांगी थी लेकिन उसको कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली है। जंतर मंतर के पास विरोध प्रदर्शन के दौरान एक समुदाय के खिलाफ कथित तौर पर नारे लगाने के आरोप में हिंदू सेना के प्रमुख सुशील तिवारी अधिवक्ता और बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय समेत छह लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
उपाध्याय के अलावा प्रीत सिंह, दीपक सिंह, दीपक कुमार, विनोद शर्मा और विनीत बाजपेयी को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक, ये नारे 8 अगस्त को भारत जोड़ो आंदोलन द्वारा जंतर-मंतर के पास आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान लगाए गए थे। इससे पहले, कनॉट प्लेस थाने में FIR दर्ज होने के बाद गिरफ्तारियां की गई थीं ।
गिरफ्तार किए जाने वालों में प्रीत सिंह ‘सेव इंडिया फाउंडेशन’ के निदेशक हैं जबकि दीपक सिंह, दीपक कुमार और विनोद शर्मा विभिन्न दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े हैं। विरोध के दौरान एक समुदाय के खिलाफ नारेबाजी करने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हुए, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। भारत जोड़ो आंदोलन द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे। भारत जोड़ो आंदोलन की मीडिया प्रभारी शिप्रा श्रीवास्तव ने कहा था कि उपाध्याय के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया गया था। हालांकि, उन्होंने मुस्लिम विरोधी नारे लगाने वालों से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया।
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