सत्यखबर
असम विधानसभा चुनाव के नतीजों के एक सप्ताह बाद मुख्यमंत्री का नाम तय हो ही गया। हिमंत बिस्वा सरमा को रविवार को विधायक दल की बैठक में नेता चुना गया। बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पार्टी महासचिव अरुण सिंह और भाजपा के असम प्रभारी बैजयंत पांडा भी शामिल थे। इससे पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राज्यपाल जगदीश मुखी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।
सरमा और सोनोवाल शनिवार को ही दिल्ली में हाईकमान से मिलकर लौटे थे। दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर हाईप्रोफ ाइल मीटिंग थी। जिसमें गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के जनरल सेक्रेटरी संगठन बीएल संतोष की मौजूदगी में नए मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा हुई। इसके बाद से ही सरमा को सीएम बनाए जाने की अटकलें तेज थी।
बता दें कि असम में तीन चरणों में हुए चुनाव में भाजपा गठबंधन को 75 सीटें मिली हैं। यह आंकड़ा बहुमत से अधिक है। भाजपा की इस जीत ने असम में इतिहास रच दिया है क्योंकि इससे पहले यहां 70 साल में कभी किसी गैर.कांग्रेसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी नहीं की।
जहां सोनोवाल ने कांग्रेस नेता राजिब लोचन पेगू को 43,192 वोट से हराकर माजुली में लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। वहीं हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस के रोमेन चंद्र बोरठाकुर को 1 लाख 1 लाख मतों के अंतर से हराकर जालुकबारी सीट पर कब्जा बरकरार रखा। सोनोवाल और सरमा के अलावा भाजपा के 13 अन्य मंत्री भी आसानी से अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाब रहे।
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बताते चलें की ताजा चुनाव परिणामों ने साफ कर दिया है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स और सिटिजन अमेंडमेंटशिप एक्ट का मुद्दा भाजपा को नुकसान नहीं पहुंचा पाया। यह दावा इसलिए भी पुख्ता हो जाता है क्योंकि पिछली बार 12 सीटें जीतकर भाजपा को सत्ता दिलाने में मदद करने वाला बोडोलैंड पीपुल्स फ्रं ट इस बार कांग्रेस और लेफ्ट के साथ था। इसके बावजूद भाजपा को कोई नुकसान नहीं हुआ।
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