सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
दिल्ली-फिरोजपुर रेलवे ट्रैक पर रोजाना लगभग 36 रेलगाडिय़ों का आवागमन होता है। रेलगाडिय़ों के आने-जाने पर रेलवे फाटक को बंद करना पड़ता है, तो वाहन चालक अपनी जान को जोखिम में डालकर रेलवे फाटक के नीचेे से वाहन निकालकर ले जाते हैं। वाहन को फाटक के नीचे से निकालने के चक्कर में हादसा होने का डर बना रहता है। रेलवे फाटक के नीचे कोई वाहन चालक अपना वाहन न निकाले, इसके लिए रेलवे विभाग ने रेलवे सुरक्षा बल के जवानों की ड्यूटी लगाई जाती है, लेकिन कोई आरपीएफ का जवान वहां तैनात नहीं रहता है। जिस कारण वाहन चालकों के हौंसले बुलंद हो जाते हैं। कई बार तो रेलवे फाटक के नीचे वाहन निकालने पर रेलवे फाटक को नुकसान भी पहुंच चुका है, फिर भी आरपीएफ का इस ओर कोई ध्यान नहीं हैं। सुबह 8 बजे से लेकर 12 बजे तक हर 15 मिनट के बाद रेलगाडिय़ों का आवागमन लगा रहता है। ऐसे में रेलवे फाटक के पास रेलवे सुरक्षा बल के जवानों का जरूरी बन जाता है। परंतु आरपीएफ के जवान केवल रेलवे प्लेटफार्म पर ही गश्त करते रहते हैं। जबकि रेलवे पुलिस वहां का जिम्मा अच्छी तरह संभाल सकती है। ऐसे में दबलैन रेलवे फाटक, कैनाल रोड़ फाटक और उकलाना फाटक पर वाहन चालकों को नीचे से वाहन निकालने पर कोई रोकने वाला नहीं होता है। अगर कोई हादसा हो जाता है, तो इसका कौन जिम्मेवार होगा? यह बात सोचने का विषय बन जाती है।
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रेलवे सुरक्षा बल के जवान की ड्यूटी सुबह 11.30 तक होती है। जिसके बाद प्लेटफार्म पर आकर ड्यूटी करते हैं। आरपीएफ को धमतान, कालवन व अन्य स्थानों पर पेट्रोलिंग करनी होती है। आरपीएफ द्वारा परसों ही 3 चालान काटे गये हैं।
राजेंद्र सिंह, चौकी इंचार्ज
आरपीएफ, नरवाना।
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