बुजुर्गों को अब वृद्धावस्था पेंशन लेने के लिए नहीं पड़ती बैंक जाने की जरूरत: उपायुक्त
सत्य खबर जींद, महाबीर मित्तल: उपायुक्त नरेश कुमार ने कहा कि जिला के सभी गांवों में अटल सेवा केन्द्र स्थापित हो चुके है। इन केन्द्रों में केन्द्र एवं राज्य सरकार की अनेक योजनाओं एवं कार्यक्रमों का सहजता से लाभ दिलाया जा रहा है ताकि लोगों को सरकारी योजनाओं एवं सेवाओं का लाभ लेने के लिए अन्यत्र न भटकना पड़े। नरेश कुमार ने बृहस्पतिवार एक बातचीत के दौरान यह जानकारी देते हुए बताया कि जिला में 3०० ग्राम पंचायतों समेत पूरे जिले में 48० अटल सेवा केन्द्र स्थापित हो चुके है। जिनमें से 37० अटल सेवा केंद्र ग्रामीण क्षेत्र में तथा 11० केन्द्र शहरी क्षेत्र में बन कार्यरत है। उन्होंने बताया कि जिला में अब तक 6० ग्राम सचिवालयों का निर्माण हो चुका है। इन सभी ग्राम सचिवालयों में संबंधित गांवों की अटल सेवा केन्द्र स्थानांतरित हो गए हैं। जिला में 55 ऐसे केन्द्र भी हैं,जिन पर आधार पंजीकरण की सुविधा भी दी जा रही है।
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उन्होंने बताया कि जिला में भारत नेट प्रोजेक्ट के तहत भी तेजी से काम हो रहा है। अब तक 2०० ग्राम पंचायतों में इस योजना के तहत इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करवाई जा चुकी हैं। इनके अलावा 39 गांवों में सीएचसी के माध्यम से इंटरनेट सेवाएं पहुंचाई जा चुकी है। डीजीपी सेवा के माध्यम से आधार लिंक खातों से लेनदेन किया जा सकता है। यह सेवा जिला के 38० केंद्रों पर शुरू हो चुकी है। डीजी पे और बैंक बीसीए सेवा के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान विगत मई माह में 4 करोड़ 61 लाख 494०० रुपये का लेनदेन किया गया। उन्होंने बताया कि अटल सेवा केन्द्र हर व्यक्ति के लिए काफी सुविधा जनक साबित हो रहे हैं। घर द्वार के आस-पास लोगों को एक ही छत के नीचे अनेक सरकार सेवाओं का लाभ मिल रहा है।
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बुजुर्गों के लिए अटल सेवा केंद्र बन रहे वरदान: डीसी नरेश कुमार ने बताया कि बुजुर्गों को पहले वृद्धावस्था पेंशन लेने के लिए बैंकों में दूर दराज जाना पड़ता था और काफी समय भी खर्च करना होता था। अब अटल सेवा केंद्रों के माध्यम से पेंशन मिलनी शुरू होने के बाद उनकी इस तरह की सभी दिक्कतों का समाधान हो गया है। अगर यह कहा जाए कि अटल सेवा केन्द्र बुजुर्गों के लिए वरदान बन रहे हैं तो अतिशयोक्ति नही होगा। जिला के 4०० ऐसे अटल सेवा केन्द्र है,जहां एचडीएफसी बैंक के खाते और ऋण प्रदान करने जैसी सुविधाएं भी शुरू हो चुकी हैं।
सीएससी पर सेनेट्री नेपकिन की सेवा भी हो चुकी है शुरू: जिला के दो ऐसे सीएससी और वीएलई है, जहां पर स्त्री स्वाभिमान प्रोजेक्ट के तहत सेनेटरी नैपकिन बनाने की दो यूनिट लगाई जा चुकी है। इन दोनों केंद्रों पर बाजार से कम बहुत ही कम कीमत पर सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध करवाई जा रही है। सेनेटरी नैपकिन बनाने में बायोडिग्रेडबल कच्चे माल का इस्तेमाल किया जाता है ताकि इनकी गुणवत्ता उच्च स्तरीय बनी रहे।
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