सत्यखबर, जींद
जींद खटकड़ टोल पर किसानों का धरना जारी है। अब धरने में महिलाओं की भागीदारी भी लगातार बढ़ रही है। महिलाएं घर का काम-काज करके बच्चों के साथ धरने पर पहुंच रही हैं। 14 फरवरी को खटकड़ टोल पर धरने पर पुलवामा में शहीद हुए जवानों, किसान आंदोलन में मौत का ग्रास बने किसानों को श्रद्धांजलि देंगे।
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खाप नेता आजाद पालवां, सतबीर पहलवान ने कहा कि सीमा पर देश की रक्षा करने के लिए सेना के जवान बॉर्डर पर जाने की बात कहते थे अब किसान भी अपने हक की लड़ाई के लिए बॉर्डर पर जाने की बात कह रहे है। दिल्ली बॉर्डर पर किसान धरनों पर जा रहे है। आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार अनेकों षड्यंत्र रच रही है, लेकिन कोई भी षड्यंत्र सरकार का कामयाब नहीं हुआ है। यह आंदोलन किसान का है जिसे कभी खालिस्तानी, कभी कांग्रेस, कभी जाति विशेष का बनाने की कोशिश की गई। किसान की कोई जात नहीं होती है। 14 फरवरी की शाम को हर गांव में किसान, मजदूर गांव की मेन चौपाल से गांव के मंदिर तक कैंडल मार्च निकालेंगे। उचाना के गांवों से अधिक से अधिक भागीदारी टीकरी बॉर्डर पर सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदारी लगाई जाएगी।
अब भी उचाना के गांवों से काफी संख्या में किसान आंदोलन में शामिल हो रहे है। किसान आंदोलन आज जन आंदोलन बन चुका है। केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून रद्द करने ही होंगे, क्योंकि ये कानून किसानों के विरोध में है।
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