प्रतीभाशली युवा अक्षय व आकाश को लकड़ी से सांस्कृतिक घरोहरें बनाने में है महारत हासिल, देश विदेशा से लाखों कर चुके सराहना
सत्य खबर जींद, महाबीर मित्तल: प्रतिभा किसी परिचय कि मोहताज नहीं होती। जींद जिला के युवा अक्षय और आकाश में लकड़ी से सांस्कृतिक धरोहरे बनाने का ऐसा जनून है जो किसी वस्तु को एकबार देख लें तो उसकी कलांकृति तैयार कर देते है। उनकी इस कला की प्रसिद्वी देश की सीमाओं को लांघकर विदेशों तक फैल चुकी हैं। देश-विदेश के लाखों लोग उनके द्वारा तैयार कि गई कलाकृतियों की सराहना कर चुके है। लकड़ी की इन कलाकृतियों की जानकारी जन-जन तक पहंचाने के लिए अक्षय तथा आकाश ने वुड टयुब चैनल भी आंरभ किया हुआ है। इस चैनल से देश व विदेशों से तीस लाख से अधिक दर्शक जुड़ चुके है। शुरूआती दिनों में इस चैनल के माध्यम से आठ से दस हजार रूपए महिने की कमाई होने लगी थी । धीरे-धीरे दर्शकों की संख्या बढ़ती गई और अब ये युवा बीस से पच्चीस हजार रूपए इस चैनल के माध्यम से कमा रहे है। आस्ट्रीया की क्राफ्ट पांडा कंपनी ने इन प्रतिभाशालीयुवाअेां के यु टयुब चैनल को खरीदने का एक लाख रूपए ऑफर दिया था, जिसे अक्षय एंव आकाश ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि देश की सांस्कृतिक धरोहरों की जानकारी देश के युवाओं तक पहुचाना पहला लक्ष्य हैं। विदेशों को बाद में इस प्रतिभाा से परिचित करवाया जाएगा। इन दोनो युवाओं में लकड़ी से कलाकृतियां तैयार करने का ऐसा जनून है कि एक बार अक्षय लकड़ी काटने के दौरान हाथ पर गंभाीर चोटें आ गई लेकिन कलाकृतिया तैयार करने का जनून फि र भी कम नहीं हुआ चोट से उभरने के बाद इन युवाओं ने विलुप्त होती पुरानी हवेलियों, बैलगाड़ी, छकड़ो पुरानी आटा चकीयों समेत अनेक सांस्कृतिक धरोहरों की लकड़ी की ऐसी कलांकृतियां तैयार की जिन्हें देखने वालेेे दंग रह गए। यहीं नही अक्षय तथा आकाश आधुनिक गाडिय़ों मोटर साइकिलों की भी शानदार कलाकृतियां तैयार कर रहें हैं।
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सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर इस कला को दुनियां के कोने-कोने तक पहुंचायेंगे: अक्षय व आकाश ने बताया कि देश की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजकर रखना और इनकी जानकारी आने वाली पीढिय़ों तक पहुचाने में यह कला काफ ी कारगर साबित होगी क्योंकि लकड़ी से तैयार कलाकृतियां एक तो बहुत संदुर होती हैं और दूसरी खास बात यह है कि लंबे समय तक खराब भी नही होती। केंद्र एंव राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनाए लागू की गई है जो इस तरह की कलाओं आगे बढने बहुत सहायक सिद्व होती हैं। प्रयास किया जाएगा कि इन योजनाओं का लाभ उठाकर इस कला को दुनिया के कौने-कोने तक पहुचाया जा सके उन्होने सरकार की प्रधानमंत्री कौशल विकाश योजना, स्व रोजगार स्थापित करने के लिए शुरू की गई कई योजनाओं को जिकर किया और इनकी प्रशांसा करते हुए युवाओं का आहवान किया कि इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपने वर्तमान एंव भविष्य को सुरक्षित बनाए।
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कला अनुदेशक वेदप्रकाश पांचाल के प्रेरक शब्दों ने बदली अक्षय एंव आकाश के जीवन की दिशा: अक्षय व आकाश ने जींद के राजकिय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से क्रमश: पेंटर तथा वैल्डर का डिप्लोमा लिया हुआ हैं। जब यह प्रतिभाशाली विघार्थी आईटीआई में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे उस दौरान आईटीआई के कला अनुदेशक वेद प्रकाशा पांचाल ने बच्चों की पढ़ाई के प्रति लग्न तथा सिखने के जनून की प्रशांसा करते हुए अक्षय व आकाश को कहा था कि जो भी काम करे उसे पुरी लग्न व मेहनत के साथ करें, सफ लता अवश्य मिलेगी। अक्षय एंव आकाश के लिए वेदप्रकाश के यें शब्द जीवन की दिशा बदलने वाले साबित हुए इसके बाद दोने युवाओं ने पीछे मुडक़र नहीं देखा और अपनी इच्छा के अनुरूप व्यवसाय का चयन कर इस कार्य पुरी मेहनत एंव लग्न के साथ जुट गए अक्षय एंव आकाश गरीब परिवार से आते है। इनके पिता जी हरिराम आटा चक्की संचालित कर परिवार का पालन- पोषण करतें है। इनकी माता जी गृहणी हैं।
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