सत्य खबर
जेल में बंदियों का जीवन बदलने के लिए शुरू हुई रेडियो स्टेशन की पहल के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। वर्कशॉप के माध्यम से ही बंदी इतना बदल गए हैं कि खुद गीत लिखने लगे हैं। हाव-भाव बदल गए हैं। बैरक में रहते हुए कुछ न कुछ लिखते रहते हैं। खुद के नाम के आगे अब आरजे बताने लगे हैं।
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बंदियों ने एक थीम गीत भी गाया, जिसके बोल थे- अब मैं हंसने लगा हूं, अब मैं गाने लगा हूं, तिनका तिनका के साथ अब मैं फिर से जीने लगा हूं..। अब बंदियों को चिट्ठी लिखने का होमवर्क दिया गया है। वीरवार को वर्कशॉप के आखिरी दिन चिट्ठी पढ़कर सुनाएंगे। खास बात ये है कि फरीदाबाद की जेल में महिला बंदियों ने सबसे ज्यादा उत्साह दिखाया है। महिलाओं की प्रस्तुति देखकर पुरुष बंदियों ने जमकर तालियां बजाईं, उनका हौसला बढ़ाया। साथ ही कहा, वे भी इसी तरह रेडियो जाकी बनेंगे।
हरियाणा के तीन जिलों, पानीपत, अंबाला और फरीदाबाद की जेल में तिनका तिनका फाउंडेशन की ओर से रेडियो स्टेशन शुरू किया जा रहा है। ये स्टेशन केवल बंदियों के लिए ही होगा। बंदी ही इसे चलाएंगे। बाहरी दुनिया के लोग इससे नहीं जुड़ पाएंगे। इस स्टेशन को चलाने के लिए आनलाइन ट्रेनिग दी जा रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कालेज में पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष एवं तिनका तिनका फाउंडेशन की अध्यक्ष डा.वर्तिका नंदा इन बंदियों को ट्रेनिग दे रही हैं।
आज डीजी देखेंगे प्रस्तुति
डीजी जेल के.सेल्वराज बुधवार को आनलाइन इस वर्कशॉप से जुड़ेंगे। बंदियों की प्रस्तुति देखेंगे। के.सेल्वराज ने इस रेडियो स्टेशन के प्रस्ताव पर उत्साह दिखाया। सभी जिलों में व्यवस्था कराई। तीनों ही जेलों ने अपना थीम गीत तैयार कर लिया है। फरीदाबाद की महिला बंदी पहले प्रस्तुति देंगी।
बंदी ढूंढ रहे प्रतिभाएं, काउंसलर की निभा रहे भूमिका
वर्कशॉप का इतना असर पड़ा है कि बंदी अब बैरकों में उन बंदियों को ढूंढ रहे हैं, जो गुमसुम रहते हैं। खुद उनकी काउंसिलिग कर रहे हैं। महिला बंदी जब अपनी बैरक में जाती हैं तो दूसरी महिला बंदी उनसे पूछती हैं कि क्या सीखकर आईं। पुरुष कैदी सामने आकर बता रहे हैं कि वे भी गा सकते हैं, लिख सकते हैं। जो महिला बंदी वर्कशॉप से पहले हिचक रही थीं, वही अब खुलकर बोल रही हैं। यहां तक की रात को टीवी भी नहीं देखा। स्क्रिप्ट बनाने में ही व्यस्त रहीं।
एक कार्यक्रम होगा..क्या कहेंगे लोग
बंदियों ने वर्कशॉप में ही कहा कि लोग उनके बारे में क्या कहेंगे। अभी तक तो उनके प्रति धारणा ठीक नहीं है। इस पर डा.वर्तिका नंदा ने सुझाव दिया कि आप एक कार्यक्रम तैयार करें, उसका नाम रखें, क्या कहेंगे लोग। खुलकर अपनी बात रखें। जब आपमें बदलाव आ जाएगा, तो दूसरे लोग खुद बदल जाएंगे।
माइक पर बोलने लगे
वर्कशॉप के चौथे दिन बंदी अब रेडियो जाकी की भूमिका में आने लगे हैं। माइक हाथ में पकड़कर कहते हैं, मैं आरजे..पानीपत जेल से। होमवर्क को पेपर पर लिखकर आते हैं। उसे पढ़कर सुनाते हैं। पानीपत जेल में बंद अफगानिस्तान के बंदी ने कहा कि भारत में ऐसा माहौल देखकर वह चकित है। अपने देश जाएगा तो सभी को बताएगा।
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