सत्य खबर झज्जर (कुमार सनी) :- वर्षों पूर्व देश की एक नामी-गिरामी कम्पनी ने अपना ब्रांड लॉन्च करते हुए साईकिल की सवारी को शान की सवारी बताया था…समय बदला, यहीं शान की सवारी गरीब व्यक्ति और कमेरा वर्ग के लिए तो जरूर शान की सवारी रही….लेकिन मध्यमवर्गीय परिवारों के अलावा हाई प्रोफाइल लोगों ने इस शान की सवारी को दरकिनार कर बाइक, स्कूटी और चार पहिया वाहन को अपने निजी जीवन का साधन बना लिया…लेकिन मौजूदा समय में यहीं शान की सवारी लॉक डाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिए मजबूरी भी बन गई है
सरकार जहां लॉक डाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को ट्रेन या फिर बसों में भरकर उनके गांव और प्रदेश तक छोडऩे के कार्य में जुटी है…लेकिन कई मजदूर ऐसे है जिन्हे रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी ना तो बस से और ना ही रेल से उनके गांव भेजा जा रहा है….लॉक डाउन में पंजाब के अन्दर फंसे जब कुछ प्रवासी मजदूरों को रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी सरकार की तरफ से उनके गांव तक भेजने के लिए कोई मदद नहीं मिली तो इन मजदूरों ने साईकिल पर ही अपने गांव की राह पकड़ी…पंजाब से सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करने के बाद आधा दर्जन प्रवासी मजदूरों की साईकिल के पहिए जब झज्जर आकर रूके तो उन्होंने यहां मीडिया के सामने अपना दर्द सांझा किया…सुनिए
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बहराल रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी जब उन्हें शासन और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली तो उन्होंने साईकिल से अपने यूपी स्थित गांव जाना तय किया…बीच रास्ते इन्हें कई स्थानों पर रोका भी गया….लेकिन वो छिपते-छिपाते किसी तरह से झज्जर पहुंचे हैं….उम्मीद यहीं है कि वो कुछ रोज बाद अपने गांव जरूर पहुंच जाएगें…
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