नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही जहां आम आदमी पार्टी एक बार फिर से सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में लगी है…वहीं कांग्रेस सत्ता में वापसी और बीजेपी दिल्ली में अपने वनवास को खत्म करने के लिए जोर आजमाइश कर रही है….ऐसे में तीनों दलों की निगाहें दिल्ली की उन सीटों पर है, जहां हरियाणा मूल के लोगों की संख्या अधिक है…इसे लेकर जहां आम आदमी पार्टी ने अपने हरियाणा प्रमुख नवीन जयहिंद की अभी दिल्ली में प्रचार की ड्यूटी लगा दी है…वहीं, अब कांग्रेस और बीजेपी भी अपने हरियाणा के नेताओं को दिल्ली चुनाव प्रचार में उतारने की तैयारी में लगे हैं…..
हरियाणा में बीजेपी ने इनेलो से अलग होकर बनी जेजेपी के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाई है…इस बार के चुनाव में जेजेपी पार्टी के प्रमुख दुष्यंत चौटाला की भी दिल्ली की जाट बाहुल्य सीटों पर नजर है…ऐसे में बीजेपी दिल्ली में 1998 में इनेलो की तरह इस बार जेजेपी से कुछ सीटों पर समझौता कर दुष्यंत से दिल्ली में अपने पक्ष में प्रचार करवा सकती है….क्योंकि जाट बाहुल्य किसी भी सीट पर दुष्यंत दूसरे दलों का चुनावी गणित बिगाड़ने में काफी अहम रोल अदा कर सकते है…
बीजेपी के अलावा कांग्रेस भी अपने हरियाणा के नेताओं को दिल्ली के चुनावी प्रचार में उतारने पर विचार कर रही है…इनमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा के अलावा कुलदीप बिश्नोई और किरण चौधरी शामिल हो सकते हैं…क्योंकि भूपेंद्र हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा सांसद रहते हुए ज्यादातर दिल्ली की ही राजनीति करते थे,…इसके अलावा किरण चौधरी दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष रह चुकी है और कुलदीप बिश्नोई भी ज्यादातर दिल्ली में ही रहते है…इसके अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला जोकि हरियाणा से है…पार्टी प्रवक्ता बनने के बाद से ज्यादातर दिल्ली की ही राजनीति कर रहे है…
प्रचार के मामले में बीजेपी और कांग्रेस को पछाड़ते हुए आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने तो अपनी पार्टी के हरियाणा के प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद को अभी से बाहरी दिल्ली में लगा भी दिया है…..खैर दिल्ली में हरियाणा के इन तीनों प्रमुख दलों के नेताओं की ओर से प्रचार की कमान संभालने के बाद किस दल को कितना फायदा होगा…इसका पता तो चुनावी परिणाम के बाद ही चल पाएगा,.,लेकिन तीनों दलों की ओर से की जाने वाली चुनावी तैयारी को देखकर फिलहाल यहीं लगता है कि कोई भी दल इस बार के विधानसभा चुनाव में अपनी ओर से कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता…..
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