सत्य खबर, चंडीगढ़
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष ने पत्रकारों के सवाल मुख्यमंत्री ने कहा की हरियाणा में बेरोजगारी नहीं है, का जवाब देते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री बेरोजगारी को लेकर सीएमआईई के आंकड़ों को नहीं मानते तो उन्हें एनएसएसओ केंद्र और प्रदेश सरकार के आंकड़ों को उठाकर देख लेना चाहिए। स्पष्ट हो जाएगा कि हरियाणा में बेरोजगारी चरम पर है। हुड्डा ने कहा कि खुद प्रदेश सरकार का ताजा आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि प्रदेश के 8,81,679 लोगों ने नौकरी के लिए रजिस्टर करवाया था लेकिन सरकार सिर्फ 2,816 लोगों को ही नौकरी दे पाए। इतना ही नहीं लोकसभा चुनावों के बाद जारी हुए एनएसएसओ के आंकड़ों से पता था कि बीजेपी सरकार के दौरान 45 साल की बेरोजगारी का रिकॉर्ड टूट गया। जब देश में 6.1% बेरोजगारी दर थी, तब हरियाणा में उससे लगभग डेढ़ गुणा ज्यादा 8.6% प्रतिशत की बेरोजगारी दर थी। हरियाणा की बेरोजगारी दर यूपी, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे पिछड़े माने जाने वाले राज्यों से भी ऊपर दर्ज की गई। जिसमे केरल के बाद हरियाणा देश में दूसरे नंबर पर था।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि उनकी सरकार के दौरान प्रदेश की बेरोजगारी दर सिर्फ 2.8% हुआ करती थी, जो आज बढ़कर 27.9% हो चुकी है। क्योंकि हमारे कार्यकाल में हरियाणा प्रति व्यक्ति आय और निवेश में पहले पहले पायदान पर था। लेकिन बीजेपी सरकार में वो बेरोजगारी में पहले नंबर पर पहुंच गया। क्योंकि बीजेपी सरकार के दौरान निवेश के नाम पर सिर्फ इवेंटबाजी हुई। 6 साल पहले सरकार ने गुरुग्राम में एक निवेश समिट करवाई थी। दावा किया गया था कि 5 लाख 87 हजार करोड़ रुपये के एमओयू साइन हुए हैं। लेकिन धरातल पर ना किसी तरह का निवेश दिखा, ना कोई नई परियोजना, ना बड़ा उद्योग और ना ही रोजगार सृजन हुआ। सरकार बताए कि उस 5 लाख 87 हजार करोड़ के एमओयू का क्या हुआ?
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री अगर किसी भी आंकड़े में भरोसा नहीं करते, जो हमारे नहीं है सीएमआईई, एनएसओ, इकोनॉमिक सर्वे के है तो उन्हें खुद जमीनी सच्चाई देखनी चाहिए। जब सरकार ने 18 हजार चपरासी पदों के लिए भर्ती निकाली थी, तो फोर्थ क्लास की इस भर्ती के लिए भी अप्लाई करने वाले 18 से 20 लाख पढ़े लिखे युवाओं ने अप्लाई किया था। इतना ही नहीं सरकार ने जब 6 हजार क्लर्क पदों के लिए भर्ती निकाली थी तो उसके लिए लगभग 25 लाख युवाओं ने अप्लाई किया था।
हुड्डा ने बताया कि पिछले दिनों जगाधरी कोर्ट में चपरासी के महज 10 पदों के लिए लगभग 7000 युवाओं ने अप्लाई किया था। इतना ही नहीं पानीपत कोर्ट में चपरासी के 13 पदों की कच्ची भर्ती के लिए प्रदेश के 14,871 युवाओं ने आवेदन किए थे। 8वीं पास योग्यता वाली चपरासी की कच्ची भर्तियों के लिए भी प्रदेश के बीए, एमए, एमएससी, एमकॉम, एम.फिल और पीएचडी किए हुए अभ्यर्थियों आवेदन कर रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि फिर भी सरकार मानने को तैयार नहीं है कि हरियाणा में बेरोजगारी भयावह रूप ले चुकी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि सरकार महम के पास एयरपोर्ट और सोनीपत रेल कोच फैक्टरी के बारे में लोगों को गुमराह कर रही है। कांग्रेस कार्यकाल के दौरान सोनीपत के लिए जो रेल कोच फैक्टरी मंजूर हुई थी, वो दूसरे राज्य में शिफ्ट हो चुकी है। फिलहाल यहां सिर्फ छोटा-सा रिपेयर सेंटर बन रहा है। इतना ही नहीं हमने बड़ी मेहनत से चार जिलों के बीच इंटरनेशनल एयरपोर्ट के स्थान आदि सभी औपचारिकता कर क्लीयरेंस दिलवाया था, लेकिन लेकिन हमारी सरकार बदलने के बाद बीजेपी सरकार ने उसे भी यहां से जाने दिया। प्रदेश सरकार के नकारेपन की वजह से हजारों करोड़ के बड़े-बड़े प्रोजक्ट हरियाणा से अन्य राज्यों में चले गए और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही।
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बेरोजगारी के साथ महंगाई के मुद्दे पर बोलते हुए हुड्डा ने कहा कि आज पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों से जनता में बहुत रोष बना हुआ है। आम आदमी महंगाई से त्रस्त है। ईंधन और खाने-पीने के सामान से लेकर ट्रांसपोर्ट और खेती, तमाम चीज़ों की लागत बढ़ती जा रही है। लोग मंदी, महामारी और महंगाई चक्की में पिस रहे हैं। लेकिन तेल पर ना केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी कम कर रही है और ना ही प्रदेश सरकार वैट में कटौती करके जनता को राहत देना चाहती है। हरियाणा में हमारे कार्यकाल से अब दुगुना वैट है। डीजल, पेट्रोल, गैस के लगातार रेट बढ़ाकर कमाई का साधन बनाया हुआ है।
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