सत्य खबर ,दिल्ली
गुल्लक और आतंकी साजिश का क्या है नाता?
कैसे गुल्लक बना कन्हैया की मौत का हथियार?
गुल्लक के पीछे क्या है दावते इस्लामी की साजिश ?
आखिर कैसे फैला रहा दावते इस्लामी
गुल्लक के जरिये आतंक का मंसूबा ?
ये आतंक की उस कहानी के सवाल है जिसका उत्तर NIA के चीफ दिनकर गुप्ता ने गृह मंत्री अमित शाह से 40 मिनट की अपनी मुलाकात में उन्हें बताया है कि कैसे आतंकी गुल्लक की मदद से आतंकी मंसूबो को फैला रहे है।
एनआईए के महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने रायसीना हिल्स स्थित नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्री से करीब 40 मिनट तक मुलाकात की. ऐसा समझा जाता है कि गुप्ता ने उदयपुर और अमरावती दोनों ही मामलों की जांच से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को अवगत कराया है। गुप्ता ने उस टेरर नेटवर्क की भी जानकारी गृहमंत्री को दी जिसका इस्तेमाल कर आतंकी फण्ड जुटा रहे है दरअसल आतंकवादी आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए गुल्लक के जरिये फण्ड इकठ्ठा करते है।
उदयपुर हत्याकांड का कनेक्शन पीलीभीत से निकलकर आया है, जिससे कि यह दावा किया जा रहा है कि दावत-ए-इस्लामी एक पाकिस्तानी संगठन है. इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी साफ है कि किस तरह से पीलीभीत की दुकानों पर गुल्लक रख कर संगठन की तरफ से आतंक के लिए फंड इकठ्ठा किया जा रहा है.
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दावत-ए-इस्लामी संगठन पीलीभीत में कई सालों से सक्रिय है. वह यहां के कई मदरसों को चलाने के साथ लगभग 250 दुकानों पर गुल्लक रखकर चंदा इकट्ठा कर रहा है. पीलीभीत के लगभग हर बाजार में दुकानदारों के यहां काउंटर पर वह गुल्लक रखी हुई है, जिसमें दावत-ए-इस्लामी को दान देने की अपील है.
देश में माहौल बिगाड़ने में 5 कट्टर संगठन एक्टिव हैं और ये संगठन सोशल मीडिया के जरिए माहौल बिगाड़ रहे हैं. इस बात का खुलासा गृह मंत्रालय को भेजी गई जांच एजेंसियों की रिपोर्ट में हुआ है. इसके साथ ही इस बात का भी खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में फंडिंग को लेकर गुल्लक के जरिए पैसे जुटाए जा रहे हैं. पूरे देश में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए एक बड़ी साजिश की तैयारी हो चुकी है. अब हथियारों के साथ साथ बड़े स्तर पर सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जाएगा
गुल्लकों में जमा पैसा कहां जाता है इस बात की जानकारी किसी को नहीं है. बस गुल्लक पर यह लिखा है कि आप अपनी मर्जी से जितना चाहे उतना इसमें दान कर सकते हैं. गुल्लक में दस, बीस या पचास के नोट के साथ साथ फुटकर पैसे भी दिख जाएंगे. यह गुल्लक शहर के बेलो चौराहे, रामस्वरूप पार्क, बरेली दरवाजे, जहानाबाद, शेरपुर, न्यूरिया जैसे इलाके में लगभग हर दूसरी दुकान पर दावत-ए-इस्लामी के नाम से रखी हुई है. ऐसी दुकानों की संख्या 250 के करीब है.
दावत-ए-इस्लामी का नेटवर्क भारत सहित दुनिया भर में फैला हुआ है. भारत में दिल्ली और मुंबई में इसका हेडक्वार्टर है. इसका संचालन पाकिस्तान से हो रहा है और बताया जा रहा है की पीलीभीत में दावत-ए-इस्लामी का नेटवर्क 2005 से फैलना शुरू हुआ था. दावत-ए-इस्लामी के जो भी सदस्य होंगे, वो हरे रंग का साफा यानी पगड़ी पहने दिखाई देंगे.
खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि इस साल हिंदू संगठनों की तरफ से अलग अलग त्योहारों के मौकों पर निकाली गई रैलियों के दौरान देश के कई इलाकों में सुनियोजित तरीके से दंगे कराए गए थे. उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या का मकसद भी देश में दंगे भड़काना ही था.
उदयपुर में कन्हैयालाल की बर्बर हत्या करने वाले हत्यारे दावत-ए-इस्लामी संगठन से भी जुड़े हुए हैं. इस जघन्य अपराध की जांच कर रहे खुफिया जांच एजेंसियों के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक कत्ल की साजिश 20 जून को उदयपुर कलेक्ट्रेट पर नूपुर शर्मा के खिलाफ हुए बड़े प्रदर्शन के बाद रची गई थी.
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