सत्य खबर, दिल्ली
राजा की कुर्सी कैसी भी हो । मन तो सभी का करता है सिंहासन पर बैठने का। बीजेपी ने जिस तरह देवेन्द्र को मुख्यमंत्री न बनाकर शिंदे को महाराष्ट्र का राज सौपा है उससे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के मन मे कसक जरूर होगी कि थोड़ी सी बीजेपी के सामने अकड़ दिखाई होती तो मुख्यमंत्री की कुर्सी उनके पास होती। आखिर महाराज ने कांग्रेस छोड़ी भी तो इसी मुद्दे पर थी कि कमलनाथ की जगह उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए। लेकिन कांग्रेस ने उनकी एक भी बात नही मानी तो वो मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनवा बैठे । अब हर कोई चुटकी ले रहा है कि महाराज के साथ अन्याय हुआ है। अगर शिंदे मुख्यमंत्री बन सकते है तो सिंधिया में क्या कमी थी। की उन्हें मुख्यमंत्री तो क्या बीजेपी ने उप मुख्यमंत्री भी नही बनाया। हमारे दिग्गी राजा चुटकी लेने के लिए ऐसे ही मौके की तलाश में रहते है। जख्म हरा हो और उस पर नमक न छिड़के ऐसा हो नही सकता। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बने लेकिन दिग्विजय सिंह ने तंज कसा ज्योतिरादित्य सिंधिया पर।
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दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया तंज कसते हुए कहा, ‘भाजपा बड़ा अन्याय करती है। एकनाथ शिंदे को बग़ावत करने पर मुख्यमंत्री पद देकर देवेन्द्र फडनविस को उपमुख्यमंत्री बना दिया। मध्यप्रदेश में भी सिंधिया को मुख्यमंत्री बना कर शिवराज चौहान को उपमुख्यमंत्री बना सकते थे, लेकिन नहीं किया। सरासर दोहरा मापदंड है।हालांकि दिग्विजय सिंह के बयान पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी पलटवार करते हुए कहा, मैं आपका, ग्वालियर और मध्यप्रदेश की जनता का सेवक हूं। सिंधिया परिवार ने कभी कुर्सी और पद के बारे में नहीं सोचा है। मैं केवल सेवक हूं और सेवक के आधार पर ही मैं 20 साल जनसेवा के पथ पर चला हूं। जो भी जिम्मेदारी मुझे दी गई थी इसको पूर्णरूप से मैंने निभाने की कोशिश की है। मेरे लिए अगर सबसे बड़ी उपाधि जनसेवा की है।
सिंधिया ने दिग्विजयसिंह की चुटकी का जवाब जरूर दे दिया है लेकिन मध्यप्रदेश की सियासत पर नज़र रखने वाले मानते है कि जो खामोशी सिंधिया के दिल मे दबी बैठी है वो कब ज्वालामुखी बनकर फूट जाए कहा नही जा सकता है। इसलिए हो न हो आज नही तो कल सिंधिया मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा तो जरूर ठोकेंगे।
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