सत्य खबर
देश में कोरोना मरीजों की संख्या अब रोजाना 3 लाख से ज्यादा आ रही है। जिसका सीधा असर स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ रहा, क्योंकि अस्पतालों में अब बेड और ऑक्सीजन नहीं है। इसके अलावा जीवन रक्षक दवा रेमडेसिविर की भी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कुछ जगहों पर दवाओं और ऑक्सीजन के गलत इस्तेमाल की भी खबरें सामने आई थीं, जिस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR ने एक नई क्लीनिकल गाइडलाइन जारी की है..
1- हल्के लक्षण वाले मरीज– इन बातों का दें ध्यान..
घर पर क्वारंटीन होकर सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और हाइजीन का ध्यान रखें।
साथ ही एक डॉक्टर के संपर्क में रहें।
रोजाना अपने शरीर के तापमान और ऑक्सीजन लेवल को नापें।
अच्छा खाना खाते हुए अपने आसपास साफ-सफाई का ध्यान दें।
ऐसा होने पर लें एक्शन
सांस लेने पर दिक्कत।
बहुत तेज बुखार और खांसी लगातार पांच दिनों से ज्यादा होने पर।
शरीर में कोई अन्य परेशानी लंबे वक्त तक रहने पर।
2. मध्यम रोग वाले मरीज–
ऑक्सीजन लेवल कम होने पर तुरंत ऑक्सीजन दी जाए।
नॉन रिब्रिदिंग फेस मास्क का इस्तेमाल हो।
वक्त-वक्त पर ऑक्सीजन थेरेपी दी जाए।
ऑक्सीजन और सांस की दिक्कत की मॉनिटरिंग हो।
जरूरत पड़ने पर तुरंत लंग्स का CXR, HRCT करवाया जाए।
24 से 48 घंटे के बीच मरीज की CBC, KFT, LFT जांच भी करवाई जाए।
वहीं अगर अस्पताल में भर्ती मरीज की हालत गंभीर है, तो उसे रेमडेसिविर दी जाए।
सरकार ने साफ किया है कि घर पर आइसोलेट या अस्पताल में बिना ऑक्सीजन बेड के भर्ती मरीजों को रेमडेसिविर ना दी जाए।
गाइडलाइन में प्लाज्मा थेरेपी के बारे में भी विस्तार से समझाया गया है।
3. गंभीर मरीज..
मरीज के ऑक्सीजन लेवल को सही करने के लिए जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन दी जाए।
वेंटिलेटर का इस्तेमाल ARDSnet प्रोटोकॉल के तहत किया जाए।
मरीज की हालत को देखते हुए उसका CXR, HRCT करवाया जाए।
रोजाना मरीज की CBC, KFT, LFT जांच भी करवाई जाए।
मरीज की रिपोर्ट कोरोना निगेटिव और बाकी सारी जांचे सही पाए जाने पर उसे डिस्चार्ज किया जाए।
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