सत्य खबर जींद, महाबीर मित्तल: जिला के लोगों के बीच देसी गाय पालने का के्रज बढ़ता जा रहा है। जिला के 99 लोगों को मिल्क रिकॉर्ड के लिए पुरस्कार दिए गए हैं। लोगों ने सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को अपनाकर अपनी आमदनी को भी बढ़ाया है। पिछले कुछ सालों के दौरान देसी गौवंश पालन को लेकर काफी कार्य किया गया है। सरकार और गौ आयोग भी इस कार्य में लगे हुए हैं। पशु पालन विभाग के उपनिदेशक डॉ रविन्द्र हुड्डा ने बताया कि जींद जिला में भी पशुपालन विभाग की ओर से इस ओर कदम बढ़ाए हैं। पहले जहां जिला में गायों की संख्या काफी कम होती थी । अब वह लगातार बढ़ रही है। फिलहाल जिला में लगभग 116624 हजार देसी गायों का आंकड़ा सामने आया है। जिसमें से लगभग 3०245 गाय विभिन्न गौशालाओं में और बकाया गाय लोगों के घरों में पाली जा रही हैं। लोगों के बीच देसी गाय पालने का के्रज दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। सरकार द्वारा गौपालन की चलाई जा रही योजनाओं का इसमें खासा योगदान है।
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पशुपालन विभाग के वैटनरी सर्जन डॉ. बलवंत ने बताया कि जिला में गायों की नस्ल सुधार के लिए भी काम किया जा रहा है। विभिन्न गौशालाओं व आम घरों में भी इस ओर ध्यान दिया जा रहा है। बीस किलो दूध तक की देसी गाय भी तैयार कर ली गई हैं। वहीं अगर पशुपालन विभाग की योजना की बात की जाए तो उसके अनुसार 4 से 1० गाय तक की डेयरी खालने पर 25 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। साथ ही गौ संवर्धन के लिए गौपालकों को ईनाम दिए जाते हैं। हरियाणा और साहीवाल नस्ल की देसी गाय के दूध क्षमता के अनुसार ईनाम निर्धारित किए गए हैं। इसके लिए गौपालक को ऑनलाईन आवेदन करना होता है और उसके बाद पशुपालन विभाग द्वारा वेरीफिकेशन करने पर 4 बार दूध का माप किया जाता है। दूध माप पशु अस्पताल या किसी सार्वजनिक स्थान पर ही किया जाता है। गौपालक को चार महीने के अंदर ईनाम की राशि मिल जाती है। योजना के अनुसार हरियाणा नस्ल की गाय जिसका 8 से 1० किलो दूध मिलती है उसे 1० हजार रूपए, 1० से 12 किलो दूध पर 15 हजार रूपए और 12 किलो से ज्यादा दूध पर 2० हजार रूपए की राशि ईनाम स्वरूप दी जाती है। इसी प्रकार साहीवाल नस्ल की 1० से 12 किलो दूध वाली गाय को 1० हजार रूपए, 12 से 15 किलो दूध पर 15 हजार रूपए और 15 किलो से ज्यादा दूध पर 2० हजार रूपए की राशि मिलती है।
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