सत्य खबर
करनाल : उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमाओं के बीच बहती यमुना नदी में दीक्षित अवार्ड के तहत पिलर लगाने की कवायद शुरू हो गई। इसे लेकर उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने अधिकारियों से विचार-विमर्श किया। फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत उत्तर प्रदेश के शामली के चकबड़ी और हरियाणा के करनाल के बड़ी गांव में पिलर लगाए जाएंगे। इस पर सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने काम शुरू कर दिया है, जिसे 15 दिन में पूरा किया जाएगा।
वीरवार को आयोजित बैठक में उपायुक्त ने उपमंडलाधीश आयुष सिन्हा, सर्वे ऑफ इंडिया के उप अधीक्षक गौरव कुमार सिंह, जिला राजस्व अधिकारी सुरेश कुमार, बीएंडआर के एसडीओ अमित कुमार सहित करनाल व इंद्री के तहसीलदार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत यूपी के चकबड़ी व करनाल के बड़ी गांव में सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने पिलर लगाने के प्वांइट तय कर दिए हैं। 15 दिनों में यह कार्य निपटाया जाएगा। उत्तर प्रदेश की ओर 24 और करनाल की ओर बीस पिलर लगेंगे। पिलर लगने के बाद सर्वे ऑफ इंडिया की टीम इनकी एक्युरेसी व मजबूती चैक करेगी। उपायुक्त ने कहा कि एक सप्ताह बाद कार्य प्रगति पर बैठक करेंगे।
अलग-अलग तरह के पिलर
उपायुक्त ने बताया कि ये पिलर दो तरह के हैं। एक बाउंड्री पिलर है जबकि दूसरा पाइल फाउंंडेशन पिलर है, जो पानी में लगाया जाता है। बाउंड्री का डिजाइन तैयार कर लिया गया है जबकि पाइल फाउंडेशन का डिजाइन आइआइटी रुड़की से स्वीकृत होगा। बाउंड्री पिलर जमीन से आठ फुट ऊपर और नौ फुट नीचे फिक्स होंगे। किनारों पर एसआरपी यानि सब रिफ्रेंस पिलर लगेंगे। सब पिलरों से ही बाउंड्री पिल्लर की लोकेशन तय की जाएगी।
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ऑड-ईवन का फॉर्मूला
उन्होंने बताया कि पिलर लगाने का काम ऑड-ईवन फॉर्मूले से होगा। ऑड हरियाणा और ईवन यूपी के लिए है। पीडबल्यूडी बीएण्डआर ने डिजाईन तैयार किए हैं। इसी विभाग के कर्मचारी ये पिलर लगाएंगे। जनवरी में यूपी और हरियाणा के वरिष्ठ राजस्व अधिकारियों के बीच बैठक हुई थी और मार्च तक निर्णय हुआ। इसके बाद सर्वे ऑफ इंडिया ने सर्वे कार्य शुरू किया।
क्या है दीक्षित अवार्ड
दोनों राज्यों की सीमाओं को बांटती यमुना में हदबस्त तय करने के लिए 1974 में तत्कालीन गृहमंत्री उमाशंकर दीक्षित की ओर से बिल का मसौदा तैयार किया गया था। इस पर 1975 में दोनों राज्यों को अमल के लिए कहा गया ताकि यमुना और इसके अंदर की जमीन पर खेतीबाड़ी को लेकर आसपास बसे गांवों के लोगों में विवाद न हो। 2003, 2006 में सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वेक्षण के बाद जो प्वाइंट दिए गए, उन पर पिल्लर लगा दिए गए। समय के साथ कुछ पिलर डैमेज हो गए या पानी में बह गए। इस बीच विवाद भी हुए, जो न्यायालयों में विचाराधीन रहे। अब उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना में यमुना में दोबारा पिलर लगाने का काम वित्तायुक्त के आदेशानुसार पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया गया है।
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