सत्य खबर सफीदों, महाबीर मित्तल: उपमंडल के सरनाखेड़ा गांव स्थित भक्ति योग आश्रम में आयुर्वेदाचार्य डा. शंकरानंद सरस्वती का 65वां जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर उनके अनेक अनुयायी आश्रम में पहुंचे और डा. शंकरानंद सरस्वती को फूलमालाएं व अंगवस्त्र भ्भेंट करके उनका अभिनंदन करते हुए उनके दिर्घायु होने की कामना की। इस जन्मोत्सव को लेकर आश्रम में शिव पूजा, हवन, सत्संग, कीर्तन व भंडारे का आयोजन किया गया। इस मौके पर साध्वी अराधिका, साध्वी मोक्षिता, साध्वी अपराजिता, स्वामी रवि भारती, स्वामी निर्मलानंद, सत्यविजय सरस्वती, विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष अरविंद शर्मा, नगर प्रमुख जयदेव माटा व उपाध्यक्ष यशपाल सूरी विशेष रूप से मौजूद थे। अपने आशीर्वचन में डा. शंकरानंद सरस्वती ने कहा कि गुरु की कृपा से ही भगवान से मिलन हो पाता है। कोई भी शुभ काम करने से पहले अपने गुरु व परमात्मा को अवश्य याद करना चाहिए, जिससे हर काम मंगलमई होगा। भगवान का नाम ही सत्य व कभी खत्म न होने वाला है, जबकि संसार की सभी वस्तु नाशवान है। यह संसार एक सपना है और इस कलयुग में परमात्मा के सहारे के साथ ही सुख मई जीवन जिया जा सकता है। परमात्मा जीव के अच्छे बुरे कर्मों के बारे में जानकार है। इसलिए जो मनुष्य परमात्मा की शरण में चला जाता है उसके सभी दुख-दर्द मिट जाते हैं। इसलिए हर मनुष्य को सत्संग में आकर संतों के वचन सुनकर उन पर अमल करना चाहिए। हम आराधन-साधना करते हुए अपने मोक्ष प्राप्ति अर्थात् शाश्वत सुख के चरम लक्ष्य को अर्जित कर पाएंगे। मात्र चार दिन के लिए मिले इस अनमोल मनुष्य जीवन को हम रसना इंद्रिय रूपी टेस्ट में व्यर्थ न गवांकर इसे हमें बेस्ट बनाने का का कार्य करना है। मन, वचन, काया के द्वारा हमें किसी भी जीव की हिंसा और दुख नहीं पहुंचाना है।
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