योग इंडिया फाउंडेशन ने ध्यान विषय पर आयोजित की ऑनलाईन गोष्ठी
सत्यखबर, सफीदों: महाबीर मित्तल
ध्यान और योग विषय पर योग इंडिया फाउंडेशन भारत द्वारा ऑनलाईन गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में उपमंडल के गांव सरनाखेड़ी स्थित भक्ति योग आश्रम एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के संचालक डा. शंकरानंद सरस्वती ने बतौर वक्ता शिरकत की। गोष्ठी का संचालन योगगुरू नरेश शर्मा ने किया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए डा. शंकरानंद सरस्वती ने कहा कि योग और ध्यान का जीवन में बड़ा महत्व है। योग और ध्यान से मनुष्य शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक विकास होता है। बंधन और मोक्ष का साधन मन है तथा मन के द्वारा ही हमसब सुख और दुख की अनुभूति करते हैं। मन को किस तरह से मनुष्य केंद्रित करें यही योग व ध्यान का प्रमुख विषय है। अगर मनुष्य का मन प्रसंन्न नहीं है तो उसे स्वर्ग के सभी सुख प्रदान कर दो लेकिन वे भी उसके लिए निरर्थक है। सुगम और सहज जीवन के लिए मन का प्रसंन्न और एकाग्र होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ध्यान के लिए बहीरंग व आंतरिक दो प्रकार के चरण हैं। बहीरंग चरण में यमख्, नियम, आसन, प्राणायाम व प्रत्याहार है तथा आंतरिक चरण में धारणा, ध्यान व समाधि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ध्यान अपने आप में विश्राम पाने की प्रक्रिया है। ध्यान करने से हम अपने किसी भी कार्य को एकाग्रता पूर्ण सकते हैं। ध्यान से चित्त शांत रहता है, अच्छी एकाग्रता आती है, बेहतर संवाद पैदा होता है, मस्तिष्क एवं शरीर का कायाकल्प होता है व विश्राम प्राप्त होता है। ध्यान से शरीर की आतंरिक क्रियाओं में विशेष परिवर्तन होते हैं और शरीर की प्रत्येक कोशिका प्राणतत्व से भर जाती है। शरीर में प्राणतत्व के बढऩे से प्रसन्नता, शांति और उत्साह का संचार भी बढ़ जाता है। ध्यान से मस्तिष्क पहले से अधिकसुन्दर, नवीन और कोमल हो जाता है। उन्होंने कहा कि ध्यान का कोई धर्म नहीं है और किसी भी विचारधारा को मानने वाले इसको कर सकता हैं। ध्यान की अवस्था में मनुष्य प्रसन्नता, शांति व अनंत के विस्तार को प्राप्त करता है। ध्यान के लाभों को महसूस करने के लिए नियमित अभ्यास की आवश्यकता है। प्रतिदिन में ध्यान मनुष्य का कुछ ही समय लेता है। प्रतिदिन की दिनचर्या में एक बार आत्मसात कर लेने पर ध्यान दिन का सर्वश्रेष्ठ अंश बन जाता है। ध्यान एक बीज की तरह है। जब आप बीज को प्यार से विकसित करते हैं तो वह उतना ही खिलता जाता है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि ध्यान की अनंत गहराइयों में जाकर अपने जीवन को समृद्ध बनाएं।
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