सत्य खबर, जयपुर
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक और वरिष्ठ गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला नहीं रहे। जयपुर के एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान बैंसला ने अंतिम सांस ली। कर्नल बैंसला पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन की अगुवाई के चलते बैंसला देशभर में चर्चाओं में आए थे। कर्नल बैंसला के निधन की पुष्टि उनके पुत्र विजय बैंसला ने की है। फिलहाल कर्नल बैंसला का शव अस्पताल से जयपुर स्थित उनके निवास पर लाया जाएगा। जहां से पार्थिव देह को उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा।
वहीं कर्नल बैंसला के निधन के बाद गुर्जर समाज ही नहीं बल्कि उनके प्रशंसक में शोक की लहर छा गई है। वहीं बैंसला के निधन पर विभिन्न राजनेताओं और प्रमुख सामाजिक लोगों ने शोक संवेदना व्यक्त की है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि बैंसला के अंतिम संस्कार पर काफी भीड़ होगी।
वहीं अजमेर से भाजपा सांसद भगीरथ चौधरी ने ट्वीट कर कहा कि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन का समाचार दु:खद है। समाज सुधार एवं समाज को संगठित करने में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे तथा परिजनों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करे। जयपुर नगर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर ने भी श्रद्धांजलि दी है। वहीं कैबिनेट मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने लिखा कि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन का समाचार सुनकर मन व्यथित है। सामाजिक एकता के लिए समर्पित उनका जीवन सदैव प्रेरणा देता रहेगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करे, विनम्र श्रद्धांजलि।
ये है कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का विस्तृत परिचय
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ था। गुर्जर समुदाय से आने वाले किरोड़ी सिंह ने अपने कैरियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर ही थी, लेकिन पिता के फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज की तरफ था। उन्होंने भी सेना में जाने का मन बना लिया तथा वह सेना में एक सिपाही के रूप में भर्ती हो गए। बैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए थे और सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी से वतन के लिए जौहर दिखाया।
सेवानिवृत होने के बाद शुरू किया गुर्जर आंदोलन
सेना से सेवानिवृत होने के बाद किरोड़ी सिंह बैंसला राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय के लिए अपनी लड़ाई शुरू की। आंदोलन के दौरा कई बार उन्होंने रेल रोकी, पटरियों पर धरना दिया। आंदोलन को लेकर उन पर कई आरोप भी लगे। उनके आंदोलन में करीब 70 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। उन्होंने गुर्जरों के हक के लिए लड़ाई लड़ी। दरअसल तब गुर्जर समाज ओबीसी में आरक्षण का लाभ ले रहे थे लेकिन समाज की मांग थी कि उनके लिए विशेष कैटेगरी में आरक्षण दिया जाए। ये आंदोलन करीब 2 साल लंबा चला था। तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोलियां भी चलाई थी। यही नहीं हरियाणा के पानीपत जिला के गांव पट्टीकल्यिाणा में जी.टी.रोड जाम करने के दौरान पत्थरबाजी व गोली चलने से गांव पट्टीकल्यिाणा के 2 युवक शहीद हुए थे।
*फ्री.फायर गेम ने कराई फ्रेंडशिप तो शादी करने के लिए नाबालिग हुई घर से फरार*
राजनीति में भी आजमाया था हाथ
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला यू तो गुर्जर आरक्षण आंदोलन के चलते सुर्खियों में आए थे लेकिन उसके बाद उन्होंने राजनीति में भी अपने हाथ आजमाए। कर्नल बैंसला साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर टोंक सवाई माधोपुर से चुनाव लड़े और बहुत कम अंतर से कांग्रेस के नमो नारायण मीणा से चुनाव हार गए। इसके बाद सामाजिक वे राजनीति में ज्यादा सक्रिय ना रहकर समाज से जुड़े मसलों और समाज के कार्यों में ही सक्रिय रहे।
पानीपत से था खास रिश्ता
गुर्जर आंदोलन के दौरान कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने पानीपत जिला के गांव छाजपुर खुर्द में समाज के लोगों की बैठक ली थी। यहीं से हरियाणा में गुर्जर आंदोलन की नींव रखी गई थी। यहीं से राजस्थान के आंदोलन के लिए चंदा भी एकत्रित कर भेजा गया था। इसके बाद गुर्जर समाज की एक बैठक बापौली में हुई और चुलकाना में बैठक होने के बाद जी.टी.रोड स्थित गांव पट्टीकल्यिाणा के पास जी.टी.रोड को जाम करने का प्रयास किया गया था। जिसमें कुछ शरारती तत्वों द्वारा पुलिस पर पत्थर फैंकने से मामला बिगड़ गया और पुलिस को गोली चलानी पड़ी। जिसमें गाव पट्टीकल्यिाणा के दो युवक शहीद हो गए।
*आयुष विभाग ने 58 महिलाओं और पुरुषों को किया सम्मानित *
जिनके लिए कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे चौ.भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से दो युवकों को शहीद का दर्जा देने व उनके परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की थी। सरकार ने मृतक युवकों के एक-एक परिजन को टयूबवैल आपरेट्र की नौकरी दी थी। बता दें कि हरियाणा मे पानीपत जिला का समालखा विधानसभा क्षेत्र गुर्जर बाहुल्य है। इसलिए यहां से गुर्जर आंदोलन को बल मिला था। उस समय इसी हल्के विधायक भी गुर्जर समाज से भरत सिंह छौक्कर थे।
Aluminum scrap recycling projects Aluminium scrap redistribution Metal waste reutilization