सी.एम. से कांफ्रेंसिंग करके लौटे हज कमेटी सदस्य अकबर खान राणा से खास बातचीत
हरियाणा सरकार कर सकती है अकबर खान राणा के संदेश को प्रसारित
सत्यखबर, सफीदों: सूबे के सी.एम. मनोहर लाल ने वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिए कोविड-19 को लेकर जींद के अटल सेवा केंद्र में जिला के विभिन्न धर्मों के मौजिज लोगों को आमंत्रित करके उनसे संवाद किया था। उस कांफ्रेस में हरियाणा हज कमेटी के सदस्य अकबर खान राणा ने भी शिरकत की थी। इस कांफ्रेंस की सबसे अहम बात यह रही कि अकबर खान राणा द्वारा मुस्लिम समाज व मानवता को दिया गया संदेश अत्म्यंत महम्त्वपूर्ण रहा और उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके संदेश की सी.एम. मनोहर लाल ने भी काफी प्रशंसा की है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा सरकार अकबर खान राणा के संदेश की डाक्यूमैंट्री बनाकर उसे प्रसारित कर सकती है। जानकारी यह भी है कि लोक संपर्क विभाग द्वारा अकबर खान के संदेश को फिर से रिकार्ड किया गया है। हमारे संवाददाता ने इस कांफ्रेंस को लेकर अकबर खान राणा से खास बातचीत की। बातचीत में खान ने बताया कि यह कांफ्रेस काफी महत्वपूर्ण व सकारात्मक रही है। उन्होंने कहा कि देशभर व हरियाणा से बहुत से तबलीगी जमात के लोग निजामुद्दीन मरकज में गए थे। जहां पर उनका संपर्क विदेश से आए संक्रमित लोगों से हुआ और उसके बाद यह लोग अपने-अपने घरों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट या अन्य साधनों से लौट आए। ऐसे में इनमें संक्रमण की भी संभावना है। इन सब लोगों का फर्ज बनता है कि वे खुद सामने आकर सरकार का सहयोग करें और अपना इलाज करवाएं। अपने आप को छिपाकर वे स्वयं के साथ-साथ दूसरे के जीवन को भी खतरें में डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इलाज करवाना भी इस्लाम में सवाब यानी पुण्य का कार्य कहा गया है। अगर हम संक्रमण को लेकर घूमते रहेंगे तो यह एक तरह से आत्महत्या करने या किसी की हत्या कर देने जैसा गुनाह होगा। इस विपदा की घड़ी में उलेमा साहिबान का भी कर्तव्य बनता है कि वह लोगों को बताएं कि जिस मुल्क में आप लोग रहते हैं, उस मुल्क के संविधान को मानना, उसके कायदे-कानून मानना और उस मुल्क के उस वक्त के हुक्मरानों के निर्देशों का पालन करना इस्लाम में जरूरी कहा गया है। यहीं नहीं जिस देश में कोई भी व्यापार करने या अन्य किसी कार्य से गया उस समय में भी उस देश कायदे-कानून मानना हर किसी का कर्तव्य है। उन्होंने मुस्लिम समाज से आह्वान किया कि वे मस्जिदों में इकठ्ठे होकर इबादत करने की बजाय अपने-अपने घरों में नमाजे अदा करें। अपने घरों में इबादत करते हुए सोचें कि वे अपने-अपने घरों को इबादत द्वारा पवित्र करने का काम कर रहे हैं। है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे पूर्वज एक ही थे, इसलिए हमसब बहन-भाई हैं और हम सबको मिल जुलकर रहना है। एक वक्त था जब हमने देश की आजादी के लिए मिलजुलकर लड़ाई लड़ी थी। उस वक्त हम यह नहीं सोचते थे कि कौन किस धर्म व जाति का व्यक्ति है। इस कोरोना महामारी में फिर वहीं भावना जागृत करने की आवश्यकता है क्योंकि कोरोना नाम का दुश्मन हमारे सामने मुंह फाड़े खड़ा है। इस दुश्मन से हमें जीत हासिल करनी है और तभी होगी जब हम सब आपसी भेदभाव भुलाकर इक_े होकर सद्भावना से काम करेंगे, घरों में रहेंगे, सरकारों के निर्देश मानेंगे, डाक्टरों व प्रशासन का साथ देंगे।
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