सत्य खबर । चंडीगढ़
नाबालिग से यौन अपराध व हत्या करने के मामले में पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने आरोपित को राहत से देने से इन्कार कर दिया है, हाई कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। घटना नूंह जिले की है।
मृतक के पिता ने पुलिस को शिकायत देते हुए बताया था कि उसने अपने बेटे को आखिरी बार रात 10 बजे 31 अक्टूबर 2019 को देखा था। इसके बाद रात एक बजे उसकी नींद खुली और उसने बेटे को मौजूद नहीं पाया।
एक नवंबर को ग्रामीणों ने बताया कि उसके बेटे का शव चाराघर के पास टंगा है। पुलिस ने शव को उतारा और अटोप्सी के लिए डॉक्टरों की टीम को भेजा। रिपोर्ट के अनुसार डाक्टरों ने उसके अंगों से छेडछाड़ की आशंका जताई और कहा कि मृतक के साथ कुकर्म की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।
इस रिपोर्ट के आने के बाद मृतक के पिता ने 11 नवंबर को एफआइआर कराते हुए नौ लोगों पर शक जताया। इसके आधार पर पुलिस ने जांच की और पाया कि रात को पौने 11 बजे याची मौसिम ने शिकायतकर्ता के बेटे को दो बार फोन किया था। शेष आठ लोगों को निर्दोष बताया गया।
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याची ने कहा कि उसके परिवार ने शिकायतकर्ता के परिवार पर दो एफआइआर दर्ज कराई थी। जिसका बदला लेने के लिए याची को फंसाया जा रहा है। पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट का हवाला देते हुए याची ने कहा कि पुलिस का भी अभी तक की जांच में मानना है कि यह हत्या का मामला नहीं है।
हाई कोर्ट ने कहा कि भले ही पुलिस का यह मानना है, लेकिन कुकर्म की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। नाबालिग से कुकर्म के मामले में अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है और ऐसे में याची को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता है। इस टिप्पणी के साथ ही हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
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