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अगर आप अपनी पत्नी से लगातार लड़ते-झगड़ते रहते हैं, अगर आपका अपनी पत्नी के साथ कलह होता रहता है और अगर आपको लगता है कि आपने गलत जीवनसाथी चुन लिया है, तो आपको इसी वक्त सावधान हो जाने की जरूरत है। क्योंकि, वैज्ञानिकों ने 30 सालों की रिसर्च के बाद पत्नियों से झगड़ने वाले पतियों के लिए खतरनाक चेतावनी जारी की है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि पत्नी से लड़ने वाले पतियों को फौरन डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि उनकी कम उम्र में मृत्यु होने की काभी संभावना रहती है।
30 सालों की रिसर्च के बाद इजरायल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी ने हेल्थ डेटा जारी किया है। इस दौरान इजरायल में 10 हजार पुरूषों की मृत्यु, उनकी मृत्यु की वजह को लेकर बेहद गहरा रिसर्च किया गया है। इन सभी लोगों की जिंदगी में घटने वाली बारीक से बारीक बातों को भी रिकॉर्ड किया गया और उसके आधार पर रिसर्च पेपर 30 सालों की कड़ी मेहनत के बाद तैयार की गई है, जिसमें वैज्ञानिकों ने पतियों के लिए चेतावनी जारी कर दी है।
वैज्ञानिकों ने रिसर्च में कहा है कि ‘अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं होने वाले पति, या फिर अपनी खराब शादी शुदा जिंदगी को ढोने वाले पतियों की कम उम्र में मौत होने की संभावना काफी ज्यादा रहती है। उनकी मौत सेरेब्रोवास्कुलर कंडीशन यानि सीवीए की वजह से हो सकती है।’ ये बीमारी एक तरह की स्ट्रोक होता है, जिसकी वजह से दिमाग की नसों में ब्लड सप्लाई काफी कम हो जाती है और स्ट्रोक की वजह से इंसानों की मौत हो जाती है।
तेलअवीव यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने स्टडी में पता लगाया है कि ‘ऐसे मर्द जो अपनी शादी से खुश नहीं हैं, उनमें 69.2 प्रतिशत ज्यादा जानलेवा ब्रेन स्ट्रोक आने की संभावना हो जाती है, ऐसे लोगों के मुकाबले जो अपनी शादीशुदा जिंदगी में काफी खुश होते हैं’। जब मर्दों की कम उम्र में होने वाली मौतो को लेकर स्टडी की गई तो पता चला कि ऐसे लोगों की 19 प्रतिशत ज्यादा हुई थी, जिन्होंने कहा था कि वो अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं हैं। इस रिसर्च के बाद तेल अवीव यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कहा कि हेल्थ अथॉरिटी और सरकार को शादीशुदा लोगों को मैरेज थेरेपी देने का प्रोग्राम चलाना चाहिए, ताकि शादीशुदा मर्द खुशी के साथ शादीशुदा जिंदगी बिता सके और खुश रह सकें..
सीवीए अलग अलग तरह की स्थितियां होती हैं, जिसकी वजह से इंसान के मस्तिष्क के अंदर खून का प्रवाह प्रभावित होता है। जिसमें स्ट्रोक, ट्रांजिएंट एस्केमिएक अटैक, एन्यूरिज्म और धमनियों का ब्लॉक होना शामिल होता है। रिसर्च को करने वाले मुख्य रिसर्चर डॉ. शहर लेव-अरी ने कहा कि ‘हमारे अध्ययन से साफ पता चलता है कि पारिवारिक जीवन कैसा चल रहा है, उसका किसी इंसान की मौत के पीछे की वजह से काफी गहरा रिश्ता होता है। शादीशुदा जिंदगी से स्वास्थ्य पर काफी गहरा असर पड़ता है।’ उन्होंने कहा कि ‘वैसे पुरूष, जिन्होंने कहा था कि वो अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं है और अपने रिश्ते को एक तरह से ढो रहे हैं, उनकी काफी कम उम्र में ही मौत हो गई। वहीं, जो लोग अपनी शादीशुदा जिंदगी से काफी खुश हैं, वो काफी अच्छी जिंदगी जी रहे हैं।
तेलअवीव यूनिवर्सिटी ने 1960 में इस रिसर्च को शुरू किया था और लगातार 32 सालों तक अलग अलग आंकड़ों को जुटाया गया और उनका अध्ययन किया गया। इस दौरान 10 हजार लोगों के स्वास्थ्य और उनके व्यवहार को काफी करीब से नोटिस किया गया। ये सभी के सभी लोग इजरायल के ही रहने वाले थे। इस रिसर्च को जब शुरू किया गया था तब इसमें हिस्सा लेने वाले ज्यादातर प्रतिभागियों की उम्र 40 साल से कम थी, जिनमें से 64 प्रतिशत की मौत खराब स्वास्थ्य और दिमागी हालत की वजह से हो गई। मुख्य रिसर्चर डॉ. शहर लेव-अरी ने कहा कि ‘ हम इंसानों के व्यवहार और मनोवैज्ञानिक लक्षण और सामाजिक जोखिमों को पहचान करने के लिए विभिन्न मापदंडों का इस्तेमाल कर रहे थे और हमने काफी सालों के बाद काफी डेटा विश्लेषण के लिए इकट्ठा किया। इन आंकड़ों से आप बहुत हद तक मौत की भविष्यवाणी कर सकते हैं..
32 सालों तक चले इस रिसर्च के दौरान प्रतिभागियों को अपनी शादीशुदा जिंदगी को रैंक देने के लिए कहा गया था। इसमें चार लेवल थे, जिसमें लेवल-1 मतलब काफी कामयाबी शादीशुदा जिंदगी और लेवल4 में सबसे खराब शादी को रखा गया था। प्रतिभागियों को लेवल-1 से लेवव-4 के बीच अपनी शादीशादा जिंदगी को रैंक करना था।
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लगातार 32 सालों तक प्रतिभागियों पर रिसर्च किया गया और इस दौरान 5 हजार 736 प्रतिभागियों की मौत हो गई, जिनमें 595 प्रतिभागियों की मौत डायरेक्ट ब्रेन स्ट्रोक की वजह से हुई। रिसर्च में पता चला कि जो लोग अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश हैं, उनके मुकाबले खराब शादीशुदा जिंदगी बिताने वालों में 24 प्रतिशत ज्यादा ब्रेन स्ट्रोक हुआ। जिन प्रतिभागियों की मौत 50 साल से कम उम्र में हुई है, उनमें से सभी के सभी खराब शादीशुदा जिंदगी बिताने वाले कैटोगिरी में शामिल थे। शादीशुदा जिंदगी पर किए गये इस रिसर्च को क्लिनिकल मेडिसीन जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
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